मध्य प्रदेश में करीबी मुकाबला, भाजपा 110 सीटों पर तो कांग्रेस 111 सीटों पर आगे
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन किया है। मध्य प्रदेश में 15 वर्षों से वनवास झेल रही कांग्रेस अब भाजपा को जोरदार टक्कर दे रही है। अब तक के रूझानों में कांग्रेस भाजपा से आगे चल रही है। हालांकि कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला करीबी का है। ऐसे में अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है कि आखिरकार बाजी किसके हाथ लगेगी। यहां किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा। ऐसे में अन्य यहां पर सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
मध्य प्रदेश में बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। 130 सीटों पर नतीजे घोषित हो चुके हैं। कांग्रेस को 66 और भाजपा को 61 सीटें मिली हैं जबकि तीन सीटें निर्दलीयों की झोली में गई हैं। रूझानों में 48 पर कांग्रेस, 48 पर भाजपा, दो पर बसपा, एक पर सपा और एक पर निर्दलीय आगे है। यानी रूझान मिलाकर कांग्रेस को 114 सीट और भाजपा को 109 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। जबकि सात सीटों पर अन्य पार्टियां आगे हैं।
बता दें कि 230 विधानसभा सीटों वाले इस प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान सम्पन्न हुए जिसमें रिकार्ड 74.85 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। यहां कुल 2899 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे।
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2013 में ये थे नतीजे
मध्य प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में भाजपा को 165 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थीं। वहीं बसपा के चार और अन्य तीन विधायक चुने गए थे। इस दौरान भाजपा को विधानसभा चुनाव में 22 सीटों का लाभ हुआ था वहीं कांग्रेस 2008 चुनाव से 13 सीटें पीछे रही। कहा गया कि भाजपा का शिवराज फैक्टर कांग्रेस के मजबूत किलों को ढहाने में सफल रहा।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव-2013 |
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पार्टी |
सीटों पर |
भारतीय जनता पार्टी |
165 |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
58 |
बहुजन समाज पार्टी |
4 |
निर्दलीय |
3 |
कुल |
230/230 |
दोनों दलों ने किए थे जीत के दावे
मत प्रतिशत बढ़ने और एग्जिट पोल के दावों के बीच भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टिया राज्य में सरकार बनाने के दावे कर रही थीं। सीएम शिवराज सिंह ने कहा था, ''मुझसे बड़ा सर्वेयर कोई नहीं हो सकता, जो दिन और रात जनता के बीच घूमता है। इसलिए पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि भारतीय जनता पार्टी ही सरकार बनाएगी। क्योंकि यह गरीबों, किसानों के लिए जरूरी है।'' वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने दावा किया कि बढ़ा हुआ वोट उनकी पार्टी का है। इस बार भाजपा पिछली बार से भी ज्यादा सीटें लाएगी।
इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का कहना था कि उनकी पार्टी इस बार 140 से भी ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। कमलनाथ ने कहा, मैंने निर्वाचन क्षेत्र के अध्ययन किए और उसके बाद इस आंकड़े पर पहुंचा। कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया था जिनमें पार्टी को पिछली बार भारी हार का सामना करना पड़ा था। यहां प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है।
‘ईवीएम गड़बड़ी’ रहा बड़ा मुद्दा
मध्य प्रदेश में इस बार ईवीएम गड़बड़ी बड़ा मुद्दा रहा। वोटिंग के बाद स्ट्रांगरूम और ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है। कांग्रेस ने इसकी शिकायत भी चुनाव आयोग से भी की। जिसके बाद चुनाव आयोग को सामने आकर साफ करना पड़ा कि वीएम में किसी तरह की गड़बड़ी संभव नहीं है, साथ ही स्ट्रांगरूम की सुरक्षा भी पुख्ता है।
राहुल गांधी ने की पीएम नरेन्द्र मोदी से दोगुनी रैलियां
मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने जमकर मेहनत की है। इस दौरान अगर भाजपा और कांग्रेस की जनसभाओं की तुलना की जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से ज्यादा मेहनत की है। पीएम नरेंद्र मोदी ने यहां सबसे ज्यादा 10 सभाएं कीं हैं। दूसरी ओर मुख्य विपक्षी राहुल गांधी ने एमपी में 21 रैलियां की थीं।
बसपा देगी भाजपा को टक्कर?
बहुजन समाज पार्टी भी प्रदेश में अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में है। 2013 विधानसभा चुनाव मैं 4 सीट से उत्साहित बसपा इस बार और ज्यादा सीटें अपने हिस्से में लाना चाहती है। लिहाजा बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश में भोपाल सहित आठ स्थानों पर चुनावी सभाएं ली। बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवावार ने मीडिया में दावा किया कि इस बार मध्यप्रदेश में उनके बगैर सरकार नहीं बनेगी। उनका कहना है कि वे 72 सीटों पर भाजपा को सीधी टक्कर दे रहे हैं।
52 सीटों पर सपा की चुनौती
समाजवादी पार्टी ने 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस-बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। इसके लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बालाघाट, मैहर, बेगमगंज सहित कई अन्य स्थानों पर चुनावी सभाएं ली हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इनकार कर दिया था। इसलिए मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। इससे आदिवासी अंचल में बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
मध्यप्रदेश में पहली बार ‘आप’ की एंट्री
आम आदमी पार्टी ने 208 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर मध्यप्रदेश के चुनावी मैदान में पहली बार एंट्री की है। आप के उम्मीदवार भी पूरी ताकत से प्रचार किए। उनकी सहायता के लए दिल्ली के मंत्री और विधायक भी प्रचार की कमान संभाले नजर आए। बता दें कि आप ने ज्यादातर उन उम्मीदवारों को टिकट दिया है जो अपने क्षेत्र में दबदबा रखते हैं लेकिन वह बीजेपी और कांग्रेस का टिकट पाने में असफल रहे। अब देखना होगा कि वे इस चुनाव में कितनी सफलता अर्जित कर पाते हैं।