शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार, किसान और रोजगार पर जोर
महाराष्ट्र में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा तैयार हो गया है। इसमें किसानों और बेरोजगारी पर नियंत्रण पाने के उपायों पर जोर दिया गया है। यह जानकारी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दी है।
शीर्ष नेतृत्व देगा मसौदे को मंजूरी
कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिव सेना की महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावनाओं को अंतिम रूप देने से पहले इन पार्टियों के नेताओं ने गुरुवार को न्यूनता साझा कार्यक्रम बनाने के लिए मुलाकात की। कांग्रेस के एक नेता ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि तीनों पार्टियों के प्रतिनिधियों ने सीएमपी का मसौदा तैयार किया। इसे तीनों पार्टियों के शीर्ष नेता अंतिम रूप देकर मंजूरी देंगे।
समग्र विकास और सभी के साथ न्याय पर फोकस
कांग्रेसी नेता ने कहा कि अगर सीएमपी को मंजूरी मिलती है तो सभी का समग्र विकास और समाज के सभी वर्गों के साथ न्याय हमारी कसौटी होगी जिस पर हम काम करेंगे। सीएमपी के मसौदे में जिन मुद्दों पर जोर दिया गया है, उनमें किसानों के सामने आ रही चुनौतियों को सुलझाना और बेरोजगारी की समस्या निपटना शामिल होगा। कांग्रेस के नेता ने कहा कि अगर किसी मुद्दों को शामिल करने या हटाने का सुझाव मिलता है तो तीनी पार्टियों की दोबारा बैठक होगी।
अंतिम फैसला पवार और सोनिया
एनसीपी प्रमुख शरद पवार 17 नवंबर को नई दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं, जिसमें राज्य की सरकार के गठन पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। इस बीच, संपर्क किए जाने पर कांग्रेसी नेता मानिकराव ठाकरे ने कहा कि सोनिया गांधी सीएमपी के मसौदे पर अंतिम फैसला करेंगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि आगे कैसे बढ़ा जाए।
मुख्यमंत्री के कार्यकाल का बंटवारा करने और बराबर मंत्री पद देने की मांग भाजपा द्वारा खारिज किए जाने के बाद शिव सेना ने कांग्रेस-एनसीपी से समर्थन के लिए संपर्क किया था। शिव सेना का आरोप है कि चुनाव पूर्व बनी सहमति से भाजपा पीछे हट रही है। दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और कुल 161 सीटें (भाजपा 105 और शिव सेना 56) जीतकर गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया था। 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत के लिए 145 सीटें पाना आवश्यक है। लेकिन सत्ता में भागीदारी को लेकर सहमति न बनने के कारण भाजपा ने सरकार बनाने में अक्षमता जाहिर की। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिव सेना और एनसीपी को भी सरकार बनाने का न्यौता दिया। लेकिन सरकार बनने की संभावना न देखते हुए उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी। केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।