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11 December 2018

मिजोरम में एमएनएफ को मिला ताज, पहली बार भाजपा का खुला खाता

File Photo

पूर्वोत्तर में कांग्रेस का आखिरी किला मिजोरम ढह गया है। यहां दस सालों बाद मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही है तथा राज्य में पहली बार भाजपा खाता खोलने में कामयाब रही है। वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री पी लाल थनहवला चंफाई साउथ और सेरछिप दोनों सीटों से चुनाव हार गए हैं।

एमएनएफ ने 26, कांग्रेस ने 5, भाजपा ने 1 और निर्दलीय प्रत्याशियों ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है। 2013 में एमएनएफ को पांच और कांग्रेस को 34 सीटें मिली थीं। कांग्रेस लगातार दो बार से सत्ता में थी। 

तुईच्वांग सीट पर भाजपा का खाता खुल गया है है जबकि पिछले पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ने के बावजूद अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बुद्धा धन चकमा चुनाव से पहले हाल में भाजपा में शामिल हुए थे। तुईच्वांग सीट पर उन्होंने मिजो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार को 1594 वोटों से हराया है।

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इस बीच एमएनएफ के अध्यक्ष जोरम थंगा ने कहा, 'हमारी भाजपा के साथ या किसी अन्य स्थिति में गठबंधन सरकार नहीं बनेगी क्योंकि हमारी पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम है। हमने 40 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की है। 

दोनों सीटों से चुनाव हारे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री लल थनहवला ने इस साल सेरछिप और चंफाई साउथ से चुनाव लड़े लेकिन दोनों ही जगहों से उन्हें हार मिली है। सेरछिप विधानसभा सीट से जोराम पीपल्स मूवमेंट के लालदूहोमा ने थनहवला को 283 वोटों से हराया तो वहीं चंफाई साउथ विधानसभा सीट से मिजो नेशनल फ्रंट टीजे लालनंतलुआंग से उन्हें 5212 वोटों से हराया।

मिजोरम 
परिणाम स्थिति
 
40 निर्वाचन क्षेत्रों में से 40 की ज्ञात स्थिति
दल का नामविजयीआगेकुल
इंडियन नेशनल कांग्रेस 5 0 5
भारतीय जनता पार्टी 1 0 1
मिजो नेशनल फ्रंट 26 0 26
निर्दलीय 8 0 8
कुल 40 0 40

75 फीसदी मतदाताओं ने डाला था वोट

इस चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट के 40 प्रत्याशी मैदान में थे। भाजपा के 39 और नेशनल पीपल्स पार्टी के 9 उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे थे। मिजोरम में इस बार 75 फीसदी मतदान हुए।  कुल 209 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे।

सत्ता पर एमएनएफ और कांग्रेस ही रही है काबिज

साल 1987 में अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद मिजोरम में यह 8वां विधानसभा चुनाव था और पिछले 10 सालों से कांग्रेस के पी लल थनहवला मुख्यमंत्री हैं। उनसे पहले मिजोरम नेशनल फ्रंट के लीडर पु. जोरमथंगा ने भी 10 सालों तक 1998 से 2008 तक सरकार चलाई थी। 1987 में विधायक चुन कर आए जोरमथंगा पहली बार ही राज्य में शिक्षा एवं वित्त मंत्री बने थे। वहीं, लल थनहवला का मिजोरम के सीएम के तौर पर लंबा अनुभव रहा है। इससे पहले भी वह 1989 से 1998 तक प्रदेश के सीएम रहे थे। इस तरह से बीते 30 वर्षों में मिजोरम में लल थनहवला और पु. जोरमथंगा ही मुख्यमंत्री रहे हैं।

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OUTLOOK 11 December, 2018
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