बंगाल में कम समय देंगे मोदी और शाह
बंगाल की जगह असम में भाजपा ज्यादा मेहनत कर रही है। असम में कम विधानसभा सीटें हैं, लेकिन वहां सिर्फ पहले चरण में ही उनकी आधा दर्जन जनसभाएं रखी गईं। शनिवार को कुछ घंटों के भीतर उनकी तूफानी जनसभाएं आयोजित की गईं। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी नरेन्द्र मोदी ने 30 से ज्यादा जनसभाएं की थीं।
बिहार चुनाव के समय भाजपा ने पूर्वी और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में भगवा फहराने की योजना बनाई थी। बिहार में पराजय के बाद असम और बंगाल भाजपा के एजेंडे में थे। लेकिन चुनाव के ऐन पहले बंगाल में मामले में उलटी चाल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट बढ़कर 17 फीसद हो गया था। तब कहा जाने लगा था कि बंगाल में भाजपा नई ताकत बन रही है। लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह की गतिविधियां बंगाल में बढ़ गई थीं। लेकिन आगे ऐसा क्या हुआ कि अब भाजपा जोश में नहीं दिख रही।
वाममोर्चा और कांग्रेस के नेता नरेन्द्र मोदी और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के बीच अघोषित तालमेल होने के दावे कर रहे हैं। दूसरी ओर, बंगाल भाजपा के कई नेता मानते हैं कि इस बार विशेष उम्मीद नहीं है। वोटों का प्रतिशत घटने के आसार हैं। ऐसे में फिल्ड में सक्रिय लोगों पर ही ठीकरा फूटेगा। इस कारण जिन सीटों पर उम्मीद है, उन्हीं पर भाजपा मेहनत कर रही है। खड़गपुर, नयाग्राम, मयूरेश्वर, उत्तर हावड़ा, जोड़सांको, बशीरहाट और उत्तर बंगाल की कुछ सीटें। 27 मार्च को नरेन्द्र मोदी की जनसभा खड़गपुर में हो रही है, जहां से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष मैदान में हैं। मयूरेश्वर में अभिनेत्री लॉकेट चटर्जी के लिए प्रचार अभियान में अमित शाह जाएंगे। सुषमा स्वराज रामपुरहाट जा सकती हैं।