बिंदुओं में जानिए नगालैंड की पूरी सियासत
पूर्वोत्तर राज्यों में शनिवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। इस बार सूबे में भाजपा के बढ़ते सियासी दखल ने यहां के चुनाव को काफी रोचक बना दिया है। त्रिपुरा में जहां भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है, वहीं नगालैंड में कांटे की टक्कर देती नजर आ रही है।
आइए जानते हैं नगालैंड के सियासत के बारे में-
- 2013 में एनपीएफ जीता और सूबे में इनकी सरकार बनीं।
- अब यहां नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और भाजपा- नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी (एनडीपीपी) बराबरी पर दिख रही है। जबकि कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया है।
-भाजपा 15 साल तक एनपीएफ के साथ रही है और एनडीपीपी भी एनपीएफ से ही टूटकर अलग दल बना है।
-राज्य में 15 साल से नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की सरकार है। भाजपा ने चुनाव से पहले एनपीएफ से गठबंधन तोड़ा और इसी पार्टी के बागी नेताओं-विधायकों के नए दल नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) से गठबंधन किया।
-एनडीपीपी ने 40, भाजपा ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा। एनपीएफ 59 सीटों पर मैदान में उतरी।
-इस बार यहां 75 फीसदी मतदान हुआ था।
- सीएम टीआर जेलियांग एनपीएफ की ओर से मुख्यमंत्री चेहरा हैं। जबकि बीजेपी और एनडीपीपी ने किसी नेता को आगे नहीं किया। हालांकि एनपीएफ के पूर्व नेता और तीन बार सीएम रह चुके नेफ्यू रियो एनडीपीपी के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं।