हरियाणा में शिवसेना ने उमर खालिद पर हमले के आरोपी को दिया टिकट
हरियाणा विधानसभा चुनावों में शिवसेना ने एक विवादित शख्स को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया है, जिसका नाम नवीन दलाल है। दलाल को शिवसेना ने बहादुरगढ़ से टिकट दिया है। बता दें कि नवीन दलाल वही शख्स है जिसने पिछले साल जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद पर जानलेवा हमला किया था। नवीन दलाल ने 6 महीने पहले ही शिवसेना ज्वाइन की है और वह शिवसेना के बहादुरगढ़ का जिलाध्यक्ष है।
नवीन दलाल को टिकट देने पर शिवसेना के हरियाणा (दक्षिण) प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि नवीन हमेशा ही गोरक्षा के मुद्दे उठाते रहते हैं, और जो लोग देशविरोधी नारे लगाते हैं उनके खिलाफ भी आवाज उठाते हैं। इसलिए पार्टी ने उनको चुना है।
2018 में उमर खालिद पर हमले का आरोप
अगस्त 2018 में नवीन दलाल ने दरवेश शाहपुर के साथ मिलकर दिल्ली के कॉनस्टीट्यूशन क्लब के बाहर गोली चलाई थी। इस हमले में उमर खालिद बाल-बाल बच गए थे क्योंकि बंदूक जाम हो गई थी। इसके बाद दलाल और शाहपुर वहां से फरार हो गए थे। इसके बाद एक वीडियो जारी कर कहा था कि वो हमला 'देश को स्वतंत्रता दिवस का तोहफा था।' नवीन दलाल फिलहाल जमानत पर बाहर हैं और उनका केस कोर्ट में चल रहा है।
हमला नवीन का देशप्रेम दिखाने का तरीका था
शिवसेना के हरियाणा (दक्षिण) प्रमुख विक्रम यादव ने कहा कि वह गोरक्षा जैसे मुद्दों पर लड़ रहा है और राष्ट्र विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ बोल रहा है। इसलिए हमने उसे चुना है। शिवसेना के नेता ने दलाल का बचाव करते हुए कहा कि यह देशभक्ति दिखाने का उनका तरीका था। उसका खालिद के साथ व्यक्तिगत मुद्दा नहीं था। वह परेशान था कि इन लोगों ने राजधानी में एक विश्वविद्यालय में भारत विरोधी नारे लगाए थे। वह इस बात से भी नाराज थे कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए नवीन के नजरिए से यह उनकी देशभक्ति दिखाने का एक तरीका था।
चुनावी हलफनामे में दलाल ने दी ये जानकारी
अपने चुनावी हलफनामे में दलाल ने कहा है कि उनके खिलाफ तीन आपराधिक मामले लंबित हैं, जिसमें खालिद पर हमले के संबंध में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की एफआईआर भी शामिल है। दो अन्य मामले 2014 के हैं। बहादुरगढ़ में एक एफआईआर आईपीसी (दंगा) की धारा 147/149 के तहत और दूसरी दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज है।
नवीन को फौज में जाने का था शौक
नवीन दलाल का कहना है कि वो अपने गांव में मिट्टी के दंगल में हिस्सा लिया करते थे। साथ ही 60 किलो ग्राम कैटेगरी में वो स्टेट लेवल भी खेल चुके हैं, लेकिन 2010 में चोट लगने के कारण कुश्ती छोड़ दी थी। इसके साथ ही नवीन बताते हैं कि उनको फौज में जाने का मन था जिसके लिए कई बार कोशिश भी की लेकिन लिखित परीक्षा पास नहीं कर सके। फिर भी वो देश के लिए कुछ करना चाहते थे तो उन्होंने गोरक्षा शुरू कर दी।
जानें कब हैं चुनाव
चुनाव प्रचार का आखिरी दिन-19 अक्टूबर
चुनाव की तारीख- 21 अक्टूबर
मतगणना और नतीजे - 24 अक्टूबर