छत्तीसगढ़: आश्वासन का शासन
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की चुनावी गारंटियों ने छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों पर होने जा रहे चुनाव को रोचक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। इस बार चुनाव राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों के इर्द-गिर्द सिमटता नजर आ रहा है। भाजपा और कांग्रेस छत्तीसगढ़ में कर्ज माफी, धान, मुफ्त बिजली और गैस सिलेंडर में छूट जैसी घोषणाएं करके मतदाताओं को अपने पक्ष में रिझाने का दांव खेल चुके हैं। भाजपा ने अपने वादों को 'मोदी गारंटी' का नाम दिया है। इसके चलते मतदाताओं की नजर इस बात पर है कि कौन-सी पार्टी क्या दे रही है। जानकारों का कहना है कि कई मुद्दों पर भाजपा ने कांग्रेस की घोषणाओं को लक्ष्य करके अपना घोषणा-पत्र बनाया है, इसीलिए इसे जारी करने में इतनी देरी हुई है। इसके बावजूद, भाजपा को अपनी गारंटियों पर ही शायद पूरा भरोसा नहीं है, इसीलिए उसने भ्रष्टाचार उजागर का दूसरा मोर्चा भी खोल रखा है और महादेव ऐप में मुख्यमंत्री बघेल के पैसे लेने के आरोप रायपुर से दिल्ली तक की फिजाओं में तैर रही हैं। कांग्रेस का कहना है कि आरोप लगाने वाला भाजपाई है और ईडी के पास कोई सबूत नहीं है। भाजपा को उम्मीद है कि वादे नहीं तो भ्रष्टाचार के दावे ही सही, किसी तरीके से कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया जाए। राजस्थान में भी बिलकुल यही दोतरफा रणनीति भाजपा ने अपनाई है।
इसके बावजूद, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही छत्तीसगढ़ के खास संदर्भ में इस पुरानी धारणा में फंसी हुई हैं कि यहां सत्ता की चाबी आदिवासी बहुल बस्तर से निकलती है। यह बात अलग है कि कई बार यह धारणा टूट चुकी है, फिर भी राजनीतिक दल हैं कि अब भी बस्तर के भरोसे चुनावी वैतरणी को पार करना चाहते हैं। यही वजह है कि इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा दोनों बड़ी पार्टियां छत्तीसगढ़ मध्य के मैदानी इलाकों की तुलना में उत्तर और दक्षिण के आदिवासी इलाकों में मतदाताओं को लुभाने के लिए कहीं अधिक पसीना बहा रही हैं। यही वजह है कि दोनों ही दलों के कद्दावर नेता आदिवासी बहुल इलाकों में कई चुनावी सभाओं को संबोधित कर चुके हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत केंद्र सरकार के कई मंत्रियों की सभाओं का सिलसिला जारी है।
किसानों पर दांवः भाजपा-कांग्रेस दोनों की नजर
राज्य में विधानसभा की 90 सीटें हैं। इनमें से 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। इस बार इन आदिवासी सीटों में से कुछ पर कांग्रेस, भाजपा के अलावा, आम आदमी पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) और ‘हमर राज पार्टी’ ने भी अपने उम्मीदवार उतार कर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। आदिवासी समाज ने अपना संगठन बना कर हमर राज पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने की पहल की है। पार्टी पिछले साल भानुप्रतापपुर उपचुनाव में ऐन मौके पर अपना उम्मीदवार उतार 23 हजार से अधिक वोट बटोरने में कामयाब रही थी।
हमर राज पार्टी, आम आदमी पार्टी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) की वजह से कांग्रेस को नुकसान की ज्यादा आशंका है। बस्तर के इस इलाके में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली थी। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 29 आदिवासी सीटों में से 25 पर जीत हासिल की थी जबकि तीन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार और एक सीट पर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के उम्मीदवार को मतदाताओं ने चुना था।
भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनाव में 41.6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2018 में वह 8.6 फीसदी घट कर 33.0 फीसदी रह गए और पार्टी के हाथ से सत्ता छिन गई। इसके ठीक उलट कांग्रेस पार्टी को 2013 में मिले 39.0 फीसदी वोटों में 6.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 45.4 फीसदी हो गया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के वोट प्रतिशत बढ़ने के पीछे आदिवासी इलाकों की सबसे बड़ी भूमिका रही है।
इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को अपनों के गुस्से का खामियाजा भी लगभग 17 सीटों पर उठाना पड़ सकता है। दोनों पार्टियों में से 18 बागी उम्मीदवार 17 सीटों से चुनावी मैदान में हैं, हालांकि इनमें से कई ने जोगी कांग्रेस का दामन थामा है पर ज्यादातर निर्दलीय हैं। माना जा रहा है कि बागियों के मैदान में डटे होने के कारण कांग्रेस को लगभग 12 सीटों और भाजपा को पांच सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 15 साल बनाम 5 साल और घोषणा बनाम बंपर घोषणा में सिमट कर रह गया है। पंद्रह साल में डॉ. रमन सिंह ‘चाउर वाले बाबा’ बन गए, वहीं भूपेश बघेल पांच साल में धान, किसान और कर्ज माफी के मुद्दे पर सबके ‘कका’ कहलाने लगे हैं। जनता बाबा या कका किसका हाथ थामती है, यह तो वक्त को ही पता है।
घोषणाएं कांग्रेस की
पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों का कर्ज माफ
20 क्विंटल प्रति एकड़, 3200 रु. प्रति क्विंटल में धान खरीदी
सभी सरकारी स्कूल-कॉलेज में केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा
तेंदूपत्ता का प्रति बोरा 6000 रु. तथा 4000 रु. सालाना बोनस
भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि 7 से 10 हजार रुपये सालाना
गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी- महिलाओं के खातों में
200 यूनिट तक बिजली फ्री
17.5 लाख गरीब परिवारों का आवास देंगे
लघु वनोपजों की एमएसपी पर खरीदी अतिरिक्त 10 रुपए
एपीएल श्रेणी में पांच, बीपीएल को 10 लाख तक मुफ्त इलाज
सड़क तथा अन्य हादसे के घायलों का मुफ्त इलाज
सभी शहरी निकायों में अंत्येष्टि के लिए लकड़ी का इंतजाम
तिवरा खरीदी पर भी एमएसपी
परिवहन व्यवसायियों को भी कर्ज माफी
युवाओं को उद्योग व्यवसाय में 50 फीसदी तक ऋण
700 नए रीपा सेंटर का निर्माण
महिला स्वयं-सहायता समूहों का भी कर्ज माफ होगा
6000 सरकारी हाई और हायर सेकंडरी स्कूल को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी तथा हिंदी स्कूल में बदलेंगे
गारंटी मोदी की
कांग्रेस की 17 चुनावी घोषणाओं के तोड़ में भाजपा का ‘मोदी की गारंटी’ वाला घोषणापत्र
21 क्विंटल प्रति एकड़, 31 सौ रुपये प्रति एकड़ धान खरीदी
तेंदूपत्ता की कीमत 5500 रुपये प्रति बोरा
गरीब महिलाओं को 500 रुपये में सिलेंडर
किसानों को एकमुश्त भुगतान
धान खरीदी के पहले बारदाना की उपलब्धता
महतारी वंदन योजना के तहत हर विवाहित महिला को वार्षिक वित्तीय सहायता के रूप में 12000 रुपये
2 साल के भीतर एक लाख भर्ती की योजना
तेंदूपता संग्रहकों को 5500 रु. प्रति क्विं. बोनस
भूमिहीन और खेतीहर मजदूर को 10000 रुपये की सालाना मदद
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक की मुफ्त इलाज की सुविधा
भर्ती घोटाला करने वालों के खिलाफ कठोर करवाई का वादा
भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच आयोग
हर लोकसभा में आइआइटी की तर्ज पर सीआइटी
हर संभाग में एम्स की तर्ज पर सिम्स खोलने की घोषणा
छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों का पुनरोद्धार
छत्तीसगढ़ में राम दर्शन योजना के तहत अयोध्या के राम मंदिर के निशुल्क दर्शन
पहली कैबिनेट में प्रधानमंत्री आवास के तहत 18 लाख लोगों को घर का प्रस्ताव
युवाओं को 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ ब्याजमुक्त ऋण
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