दिल्ली में नगर निगम उपचुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका
13 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 5 सीटें मिली हैं जबकि पिछले साल के विधानसभा चुनाव में इन 13 वार्ड में से 12 में आप बड़े अंतर से आगे रही थी। चुनाव नतीजे कांग्रेस के लिए सबसे सकून दायक रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था मगर इन चुनावों में उसे 4 सीटें मिली हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसा लग रहा है कि लोगों ने एक बार फिर से कांग्रेस पर भरोसा जताना शुरू कर दिया है।
भाजपा के लिए नुकसान की बात इसलिए भी है क्योंकि जिन 13 सीटों पर उप चुनाव हुए थे उनमें से 7 सीटें पहले भाजपा के ही कब्जे में थी। ऐसे में उसे सीधे-सीधे चार सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। एक और महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दिल्ली में तीनों निगमों पर इस समय भाजपा ही सत्ता में है। ऐसे में निगमों के अगले वर्ष होने वाले चुनाव से पहले यह नतीजे उसके लिए खतरे की घंटी हैं।
जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है तो पिछले विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली पार्टी ने दावा किया था कि उसके काम से दिल्ली के लोग इतने खुश हैं कि उसे 13 मे 13 सीटें मिलेंगी। मगर उसका दावा धरा का धरा ही रह गया है। इन नतीजों से ऐसा लग रहा है कि आम आदमी पार्टी का तिलस्म ढह रहा है और अगर पार्टी कुछ ठोस काम करने के बदले इसी प्रकार गैर मुद्दों और प्रचार पर अनाप-शनाप पैसे खर्च करने पर ज्यादा ध्यान देती रही तो उसके लिए भी अगले वर्ष के निगम चुनाव सुखद नहीं होने वाले हैं।