शर्मिला नहीं बनना चाहतीं वीआईपी, सुरक्षा लेने से इनकार
इरोम ने पीटीआई भाषा को बताया कि उनकी किसी के साथ दुश्मनी नहीं है और उन्हें इस बारे में डरने की जरूरत नहीं है।
पूर्व में जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता रह चुकीं शर्मिला इरोम ने कहा कि सशस्त्र बलों से घिरी रहकर वह वीआईपी संस्कृति को बढ़ावा देने के बजाय लोगों के बीच रहना चाहती हैं।
दूसरी तरफ अतिरिक्त मुख्य सचिव जे. सुरेश बाबू ने शासन का पक्ष रखते हुआ कहा कि राज्य प्रशासन अपना काम कर रहा है क्योंकि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने उन्हें शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि, वह हर समय लगभग अकेले ही यात्रा करती हैं।
उन्होंने एजेंसी को बताया, शर्मिला की खुद की रक्षा के लिए सुरक्षा मुहैया करायी गयी है।
इस बीच, शर्मिला की ‘पार्टी पीपल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस’ (पीआरजेए) के संयोजक इरेन्डो ने बताया कि उनकी सुरक्षा में राज्य सशस्त्र बल के छह जवानों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया, वे लगातार उनके साथ हैं।
ईसीआई ने नियमानुसार राज्य प्रशासन से शर्मिला को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था। क्योंकि शर्मिला 11 वें मणिपुर राज्य विधानसभा चुनाव में थोउबल से चुनाव लड़ रही हैं जो उनके प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह का गृह नगर है।
शर्मिला ने करीब डेढ़ दशक के अनशन संघर्ष के बाद अपना राजनीतिक दल पीपल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) के नाम से बनाया, जिसने राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में तीन प्रत्याशी उतारे हैं।
एजेंसी