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29 December 2021

यूपी विधानसभा चुनाव: जानें कौन हैं वो पांच महिलाएं जिनपर होगी सबकी नजर

उत्तर प्रदेश में 2022 की शुरुवात में विधानसभा चुनाव होने को हैं और इस बार सबकी नजर इन पांच महिला नेत्रियों के राजनीतिक भाग्य पर टिकी रहेगी। ये महिलाएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी-अपनी पार्टियों के विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभा रही हैं।

प्रियंका गांधी

सबसे पहले, सभी की निगाहें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर टिकी हैं, जो उत्तर प्रदेश में लगभग समाप्त हो चुकी कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं।

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प्रियंका ने आगामी विधानसभा चुनावों में महिलाओं के लिए 40 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करते हुए महिलाओं को चर्चा का केंद्र बनाया। जातिवाद और सांप्रदायिकता की लकीरों को धुंधला कर महिला वोट बैंक को अपने पाले में खिंचने के उनके प्रयासों ने अन्य राजनीतिक दलों को बेचैन कर दिया है और उनका नारा 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' राजनीतिक हलकों में गूंजने लगा है।

प्रियंका के लिए विधानसभा चुनाव करो या मरो की लड़ाई जैसा है। यदि वह आगामी चुनावों में कांग्रेस के भाग्य को पुनर्जीवित करने में सफल होती हैं, तो उनका कद एक योग्य नेता के रूप में स्थापित हो जाएगा।

अगर कांग्रेस विफल होती है, तो यह प्रियंका की विफलता होगी और यह संकटग्रस्त पुरानी पार्टी को एक और जोर का झटका दे सकती है।

अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल एक और महिला नेता हैं जिनके लिए यूपी चुनाव एसिड टेस्ट है। अनुप्रिया की अपना दल भाजपा की सहयोगी है और उसने पिछले तीन चुनावों में उल्लेखनीय सफलता दर दिखाई है।

2014 और 2019 के आम चुनावों में, अपना दल ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों पर जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा और नौ पर जीत हासिल की।

मायावती

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती एक और महिला नेता हैं जिनका राजनीतिक भविष्य काफी हद तक यूपी विधानसभा चुनाव पर निर्भर करता है।

मायावती के 2012 में सत्ता से बाहर होने के बाद से बसपा की प्रदर्शन में तेजी से गिरावट आया है।

मायावती ने अपनी पार्टी से लगभग सभी वरिष्ठ दलित नेताओं को निष्कासित कर दिया है और अब उनके पास कोई योग्य दलित चेहरा नहीं है, जो उनके पार्टी का मुख्य आधार रहा है।

बसपा अब ब्राह्मणों को लुभाने में लगी है और यह दलितों के लिए परेशानी का सबब साबित हो रहा है। क्या बसपा 2007 के जादू को फिर से कायम कर पाती है और दलितों और ब्राह्मणों के बीच संतुलन कायम कर पाती है या नहीं, यह देखना बाकी है।

बसपा को पहली बार भीम आर्मी से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो अगले साल होने वाले यूपी चुनावों में अपनी राजनीतिक शुरुआत कर रही है।

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर दलित युवाओं के बीच अच्छी खासी संख्या बनाने में कामयाब रहे हैं और यह चुनाव में बसपा के हितों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

डिंपल यादव

चौथी महिला नेता जो यूपी चुनावों में अहम भूमिका निभाएंगी, वह हैं समाजवादी पार्टी की पूर्व सांसद डिंपल यादव। हालांकि वह राजनीतिक क्षितिज पर बहुत अधिक दिखाई नहीं दे रही हैं, लेकिन पार्टी के सूत्रों का दावा है कि वह अपने पति अखिलेश यादव को उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक लड़ाई - 2022 के विधानसभा चुनावों में मदद करने के लिए पर्दे के पीछे से लगातार काम कर रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि डिंपल चुपचाप विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में स्थिति की जांच कर रही हैं और चुनाव प्रचार में व्यस्त अखिलेश यादव को फीडबैक दे रही हैं।

पार्टी एक एक नेता ने नाम न छापने के शर्त पर कहा, "वह बूथ स्तर तक काम कर रही है। बहुतों को उनके काम की जानकारी नहीं है, लेकिन वह अखिलेश यादव के लिए चीजों को आसान बनाने के लिए ओवरटाइम काम कर रही है। वास्तव में, वह एक कुंजी हैं।

डिंपल जानती हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में उनके पति एकमात्र स्टार प्रचारक हैं, क्योंकि पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं और हो सकता है कि प्रचार न करें।

सपा के एक और वरिष्ठ नेता आजम खान जेल में हैं, जबकि बेनी प्रसाद वर्मा समेत कुछ अन्य का निधन हो गया है।

अदिति सिंह

आगामी विधानसभा चुनावों में नजर रखने वाली एक और महिला नेता रायबरेली से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह हैं।

पहली बार विधायक बनीं अदिति ने 2017 का चुनाव अपने पिता अखिलेश सिंह की सद्भावना से जीता था। रायबरेली से पांच बार विधायक रहे अखिलेश सिंह, जिन्हें माफिया डॉन के नाम से भी जाना जाता है, ने लगभग तीन दशकों तक अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपार सफलता का आनंद लिया।

उन्होंने 2017 में अदिति के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी जब उन्हें कैंसर का पता चला था। अगस्त 2019 में उनका निधन हो गया। अदिति अब औपचारिक रूप से हाल ही में भाजपा में शामिल हो गई हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के खिलाफ अदिति के विद्रोह से रायबरेली में पार्टी को नुकसान हो सकता है, जो सोनिया गांधी का लोकसभा क्षेत्र है।

रायबरेली में कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने कहा, "वह कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं, लेकिन क्या वह अपनी सीट बरकरार रख पाएंगी, ये भी एक बड़ा सवाल है।

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TAGS: 5 women in UP election, UP Election, Mayavati, Dimpal Yadav, Priyanka Gandhi, Aditi Singh, Anupriya Patel
OUTLOOK 29 December, 2021
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