मतदान के अगले दिन 18 नवंबर को दोपहर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मृतक सलमान खान के घर खजुराहो पहुंचे और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर थाने पर धरने पर बैठ गए। खजुराहो थाने में भाजपा उम्मीदवार और आरोपी अरविंद पटेरिया सहित 21 लोगों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज है। मतदान के दिन कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार के काफिले आमने-सामने आ गए और सलमान को गाड़ी से कुचल दिया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राजनगर में कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या, रहली में कांग्रेस प्रत्याशी के ऊपर हमले के अलावा भिंड में दलित का घर जलाए जाने के मामले में कार्रवाई न होने पर प्रशासन को चेतावनी दी है।
इन घटनाओं से इतर पिछले चुनावों की तुलना में इस बार मत प्रतिशत में इजाफा हुआ। इस बार मतदान 77.15 फीसदी रहा जो 2018 के 75.63 फीसदी से करीब 1.52 फीसदी ज्यादा है। इसे राज्य में दोनों प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने पक्ष में बता रही हैं। कांग्रेस को यह बदलाव का प्रतीक लग रहा है तो भाजपा को यह अपनी सरकार और मोदी की लोकप्रियता का संकेत लग रहा है।
महिलाओं ने इस बार बढ़-चढ़कर वोट दिया। महिलाओं की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं, हालांकि महिला और पुरुष वोटरों के मतों का अंतर 2.18 प्रतिशत है। दोनों ही पार्टियों ने महिला वोटरों को रिझाने के लिए योजनाओं की झड़ी लगा दी थी। चुनाव के ऐन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना शुरू की, हालांकि उनके बुधनी क्षेत्र में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले कम रहा। 2018 के चुनाव में 44 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा था जबकि मौजूदा चुनाव में 34 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हिस्सेदारी ज्यादा नजर आई।
भाजपा के तीन बड़े स्टार प्रचारकों नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने 50 सभाएं कीं। अमूमन इन सभाओं में लगातार हिंदुत्व को मुद्दा बनाने, केंद्र की महत्वाकांक्षी योजनाओं की चर्चा करने और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाने की कोशिश की गई। कांग्रेस के स्टार कैंपेनर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 24 जनसभाओं को संबोधित कर भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाकर भाजपा को घेरा। राहुल गांधी का ओबीसी आरक्षण और जातिगत जनगणना पर ज्यादा जोर रहा। प्रियंका, मोदी और शिवराज सरकार पर ज्यादा हमलावर रहीं। आखिरी सभा में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार तक कह डाला। खड़गे ने ईडी और सीबीआइ का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए।
यह चुनाव भाजपा के लिए ज्यादा चुनौती भरा रहा। इस बार मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री, सांसद, मंत्री, भाजपा के महासचिव, पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र, राजघराने के सदस्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के लिए यह चुनाव दिलचस्प रहा क्योंकि वह पूरे समय भाजपा के एक के बाद एक वादे, गारंटी और धुंआधार हमलावर प्रचार के बीच मतदाताओं से संपर्क साधने में लगी रही।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी-गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (बसपा -गोंगपा) प्रदेश की 119 सीटों पर असर दिखा सकते हैं। 2018 में बसपा को लगभग पांच प्रतिशत और गोंगपा को दो प्रतिशत के लगभग वोट मिले थे। इसके चलते बसपा की वजह से 28 सीटों पर और गोंगपा की वजह से 9 सीटों पर परिणाम प्रभावित हुए थे। अबकी 10 सीटों पर यह गठबंधन मजबूत है।
बहरहाल, राजनीतिक गलियारे में मोटे तौर पर जो बात निकल कर सामने आ रही है उसके आधार पर कहा जा रहा है कि इस चुनाव में मतदाता पहले दिन से ही उम्मीदवारों, दलों और उनके कार्यकर्ताओं से आंखमिचौली का खेल चतुराई के साथ पूरे समय खेलता रहा।