सेना के अनुसार, मूल रूप से असम के कछार जिले के निवासी लैशराम कमलबाबू सिंह इंफाल पश्चिम के खुखरुल में रहते थे और वह 57वीं माउंटेन डिवीजन के लेइमाखोंग सैन्य अड्डे में सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार के कार्य पर्यवेक्षक थे।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा था कि सिंह सैन्य अड्डे से लापता हो गए हैं तथा उन्होंने सैन्य अधिकारियों से सिंह को ढूंढने की जिम्मेदारी लेने को कहा था।
मणिपुर पुलिस ने सोमवार रात ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारतीय सेना की सहायता से मणिपुर पुलिस 25 नवंबर, 2024 से व्यापक स्तर पर संयुक्त तलाश अभियान चला रही है, ताकि लैशराम कमलबाबू सिंह (56 वर्ष) का पता लगाया जा सके, जो 25 नवंबर, 2024 से लापता हैं।’’
पोस्ट के अनुसार, ‘‘सेना ने 2000 से अधिक सैनिकों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और सेना के खोजी कुत्तों की मदद से उन्हें ढूंढने के लिए हर तरह की सहायता और संसाधन मुहैया कराए हैं। तकनीकी खुफिया जानकारी का उपयोग करके आगे की जांच की जा रही है।’’
इस बीच, सिंह के लापता होने के विरोध में सैन्य अड्डे से करीब 2.5 किलोमीटर दूर कांटो सबल में धरना प्रदर्शन जारी रहा, जहां सड़क पर अवरोधक लगाए गए हैं। सिंह की पत्नी अकोईजम बेलारानी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
कांगपोकपी जिले में स्थित सैन्य शिविर राज्य की राजधानी इंफाल से करीब 16 किलोमीटर दूर है और पर्वतीय क्षेत्रों से घिरा हुआ है जहां कुकी लोग रहते हैं। पिछले साल मई में जातीय हिंसा शुरू होने के बाद लीमाखोंग के पास रहने वाले मेइती लोग यहां से पलायन कर गए थे। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंह को संभवतः उग्रवादियों ने अगवा किया है।