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05 February 2025

मिल्कीपुर उपचुनाव: बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति बनाम सपा की पारंपरिक पकड़

5 फरवरी 2025 को दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी हो रहा है, जिसका राजनीतिक महत्व किसी भी बड़े चुनाव से कम नहीं है। अयोध्या से लगभग 50-60 मिनट की दूरी पर स्थित यह सीट फ़ैज़ाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसके चुनावी नतीजे दूरगामी असर डाल सकते हैं।

मिल्कीपुर का चुनावी इतिहास

मिल्कीपुर सीट 1967 में बनाई गई थी और यहां मित्रसेन यादव, जिन्हें 'कॉमरेड मित्रसेन' के नाम से जाना जाता था, का दशकों तक दबदबा रहा। वे चार बार कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और 1996 में समाजवादी पार्टी (SP) से जीते। 2012 से यह सीट समाजवादी पार्टी के पास रही, जहां अवधेश प्रसाद ने दो बार जीत दर्ज की, लेकिन 2017 में बीजेपी के बाबा गोरखनाथ ने उन्हें 28,276 वोटों से हराया था। बीजेपी इस सीट पर तभी जीतती है जब कोई मजबूत लहर हो—1991 में राम मंदिर आंदोलन और 2017 में मोदी लहर के दौरान।

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बीजेपी बनाम एसपी: 2025 की जंग

इस बार बीजेपी ने बाबा गोरखनाथ को टिकट न देकर चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जो एक वकील और व्यापारी हैं। बीजेपी की रणनीति हिंदुत्व और दलित (पासी) वोट को साधने की है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद छह रैलियां कर चुके हैं और एसपी पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं। वे बार-बार "बांटेंगे तो काटेंगे" जैसे नारों और अखिलेश यादव के कुंभ मेले पर दिए बयानों का जिक्र कर हिंदू एकता को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

दूसरी ओर, एसपी ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने अपनी मजबूत मुस्लिम-यादव (M-Y) वोट बैंक पर फोकस किया है और ग्रामीण क्षेत्रों में 10-12 दिन पहले से डोर-टू-डोर अभियान चला रही है। हालांकि, उम्मीदवार चयन में भाई-भतीजावाद के कारण सूरज चौधरी नामक नेता ने 500 समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी, जिससे एसपी को कुछ नुकसान हो सकता है।

जातीय समीकरण और हिंदुत्व का असर

मिल्कीपुर में 3.5 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें दलितों की संख्या 1.5 लाख है। इसमें 55,000 पासी समुदाय से आते हैं, जो चुनावी नतीजे तय कर सकते हैं। ब्राह्मण (60,000), राजपूत (25,000), वैश्य (20,000) और यादव (55,000) वोट भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। बीजेपी 'हिंदू एकता' के जरिए ब्राह्मण और दलित वोटों को साधने की कोशिश कर रही है, जबकि एसपी पारंपरिक M-Y समीकरण को बनाए रखने की रणनीति पर चल रही है।

नतीजे का असर और संभावनाएं

अगर बीजेपी यह चुनाव जीतती है तो अयोध्या और राम मंदिर से जुड़े हिंदुत्व एजेंडे को और मजबूती मिलेगी, जबकि एसपी की जीत से यह संकेत जाएगा कि जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय राजनीति अभी भी प्रभावी हैं। इस उपचुनाव में बीजेपी का हाई-वोल्टेज कैंपेन और योगी आदित्यनाथ की सीधी भागीदारी इसे खास बना रही है। अब देखना यह है कि क्या बीजेपी 2025 में भी अपनी जीत की लहर बरकरार रख पाएगी, या फिर सपा अपनी पकड़ मजबूत करेगी?

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TAGS: Milkipur by-election, BJP, SP, Faizabad, Ayodhya, Chandrabhanu Paswan, Ajit Prasad, Yogi Adityanath, Akhilesh Yadav, हिंदुत्व, दलित वोट
OUTLOOK 05 February, 2025
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