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15 April 2020

बांद्रा में मजदूरों के जुटने पर केंद्र सरकार घिरी, रेलवे के 39 लाख टिकट बुक करने पर उठे सवाल

14 अप्रेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने के ऐलान के बाद मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हज़ारों की तादाद में मजदूर जुटने लगे। वे सभी अपने-अपने घर जाना चाहते थे। लॉकडाउन के बावजूद जुटी भीड़ को लेकर कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस ने पूछा है कि रेलवे द्वारा आखिर 39 लाख टिकटों की बुकिंग क्यों की गई। क्या रेल मंत्रालय लॉकडाउन बढ़ने की सम्भावना से अनजान था।

कोरोना वायरस महामारी के संक्रमितों की संख्या भारत में लगातार बढ़ रही है। जिसके चलते लॉकडाउन को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया। लेकिन देश के कई हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूर इस दौरान अपना घर वापस जाना चाहते हैं। बांद्रा में मंगलवार को जुटे मजदूर भी यही मांग कर रहे थे। भीड़ को हटाने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज तक करना पड़ा। वहीं 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया गया है। इस बीच कांग्रेस की ओर से सवाल किया गया है कि क्या रेल मंत्रालय लॉकडाउन बढ़ने के सम्भावना से अनजान था।

कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा कि रेलवे केंद्र सरकार के अधीन है। रेलवे ने 15 अप्रैल से 3 अप्रैल के बीच लगभग 39 लाख टिकट बुक कर लिए थे। क्या मोदी जी ने रेल मंत्रालय को नहीं बताया था कि लॉकडाउन बढ़ने वाला है। हर बार योजना विहीन पीएम साहब लेकिन गलती भुगतें मजदूर।

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सूरत में भी मजदूरों ने की घर जाने की मांग

गुजरात के सूरत में भी मंगलवार की शाम को सैकड़ों प्रवासी मजदूर इस मांग के साथ एकत्रित हो गए कि उन्हें लॉकडाउन के बावजूद उनके मूल स्थानों को भेजा जाए। यह जानकारी पुलिस ने दी। पुलिस ने बताया कि प्रवासी मजदूर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में एकत्रित हो गए और यह मांग करते हुए सड़क पर बैठ गए कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने की इजाजत दी जाए। मौके पर एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ ये प्रवासी मजदूर अपने मूल स्थानों को जाना चाहते हैं। हमने इन्हें बेसब्र नहीं होने के लिए कहा क्योंकि वर्तमान समय में लॉकडाउन लागू है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि उनमें से कुछ लोग भोजन के बारे में शिकायत कर रहे थे, अत: हमने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को बुलाया और इनके लिए तत्काल भोजन के पैकेट के इंतजाम किये। स्थिति अब नियंत्रण में है।’’ प्रवासी श्रमिकों ने सूरत में शुक्रवार को इस मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था कि उन्हें उनके मूल स्थानों को भेजा जाए।

मजदूर देश की रीढ़, सरकार दे ध्यान: प्रियंका

इस घटना पर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'आख़िर हर बार हर विपत्ति गरीबों और मजदूरों पर ही क्यों टूटती है? उनकी स्थिति को ध्यान में रखकर फैसले क्यों नहीं लिए जाते? उन्हें भगवान भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है? लॉकडाउन के दौरान रेलवे टिकटों की बुकिंग क्यों जारी थी? स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? उनके पैसे खत्म हो रहे हैं, स्टॉक का राशन खत्म हो रहा है, वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. जिसके कारण वह अपने घर-गांव जाना चाहते हैं। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए थी। अभी भी सही प्लानिंग के साथ इनकी मदद की व्यवस्था की जा सकती है। मजदूर इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं। नरेंद्र मोदी जी जी भगवान के लिए इनकी मदद कीजिए।'

मजदूरों के लिए क्या है एक्शन प्लान?

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि सरकार को सिर्फ जनता को उसकी जिम्मेदारी का अहसास नहीं कराना चाहिए, बल्कि अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन भी करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ' मोदी जी, देश ने 21 दिन का लॉकडाउन माना। देश 20 दिन का लॉकडाउन भी मानेगा। पर नेतृत्व के मायने केवल देशवासियों को जिम्मेदारी का अहसास दिलाना नहीं बल्कि सरकार और शासक की जनता के प्रति जबाबदेही व जिम्मेदारी का निर्वहन भी है।' उन्होंने सवाल किया, ' बातें बहुत हुईं पर कोरोना से लड़ने का रोडमैप क्या है? '

प्रधानमंत्री की सात कदमों से जुड़ी अपील का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, 'कोरोना की रोकथाम का एक मात्र रास्ता है-जांच। जांच कई गुना बढ़ाने की क्या योजना है?' उन्होंने यह सवाल भी किया, ' पलायन कर चुके करोड़ों मज़दूर आज रोज़गार-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं। इस संवेदनशील व मानवीय मसले पर आपका ऐक्शन प्लान क्या है?'

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, 'प्रधानमंत्री ने बताया कि लोग क्या करें , लेकिन यह नहीं बताया कि देशवासियों के लिए सरकार क्या कर रही है?’’

आदित्य ठाकरे का मोदी सरकार पर निशाना, बताया केंद्र की नाकामी

इस घटना को लेकर शिवसेना नेता और राज्‍य मंत्रिमंडल में मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में 6 लाख लोग शेल्टर्स में रह रहे हैं। केंद्र सरकार के सामने मामला रखा गया था कि इन लोगों को घरों तक पहुंचने की कोशिश की जाए। यह स्थिति इसलिए हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने बात नहीं सुनी। यहां तक कि गुजरात के सूरत में भी मजदूरों ने घर जाने के लिए दंगा तक किया, यह सब केंद्र सरकार की विफलता को दिखाता है, जो प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक भेजने में नाकाम हो रही है। वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वो घर जाना चाहते हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने की सीएम ठाकरे से बात

वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की और बांद्रा रेलवे स्टेशन पर जुटी प्रवासी मजदूरों की भीड़ को लेकर चिंता जताई। शाह ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से कोरोना वायरस के खिलाफ मुहिम कमजोर होगी और ऐसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को पूरा समर्थन देने की भी बात कही।

भाजपा का पलटवार

भाजपा संसद पूनम महाजन ने कहा है कि मेरे चुनाव क्षेत्र में ही बान्द्रा टर्मिनस आता है। यहां बाहर से आकर कमाने खाने वाले लाखों लोग रहते हैं। इन्हें रहना, खाना नहीं मिल रहा है। इन अप्रवासी मजदूरों की अपेक्षा पूरी नहीं हुई। इसलिए ऐसा नजारा देखने को मिला है। मुंबई में लॉकडाउन की प्लानिंग अलग से होनी चाहिए जो यहां की सरकार नहीं कर रही है । वहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि बांद्रा में जो हुआ दुखद है। हमने राज्य सरकार से पहले ही प्रवासी मजदूरों के खाने पीने की व्यवस्था करने की अपील की थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया यह शर्मनाक है। राज्य के कुछ मंत्री अपनी जिम्मेदारी केंद्र पर डालने की कोशिश कर रहे हैं और मामले पर राजनीति कर रहे हैं यह ठीक नहीं है।

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TAGS: modi government, gathering of laborers, Bandra, questions raised, booking, 39 lakh railway tickets
OUTLOOK 15 April, 2020
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