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09 September 2024

एमयूडीए मामला: सिद्धरमैया के खिलाफ निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक 12 सितंबर तक बढ़ी

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की उस याचिका पर सुनवाई 12 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गयी मंजूरी की वैधता को चुनौती दी गई है।

अदालत ने इसके साथ ही, मामले में उनके खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करने वाली विशेष जनप्रतिनिधि अदालत को सुनवाई की अगली तारीख तक कार्यवाही स्थगित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इससे पहले, 19 अगस्त को भी ऐसा अंतरिम आदेश जारी किया था।
 
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘चौथे प्रतिवादी (स्नेहमयी कृष्णा) की ओर से उपस्थित वकील लक्ष्मी अयंगर की दलीलें सुनी। सभी प्रतिवादियों ने अपनी दलीलें पेश कर दी हैं। महाधिवक्ता ने भी अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और वरिष्ठ वकील प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार के जवाब के लिए इस मामले को 12 सितंबर की दोपहर 12 बजे के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’’
 
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘12 सितंबर को हमें इसे पूरा कर लेना चाहिए।’’

राज्यपाल ने 16 अगस्त को प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लेखित कथित अपराधों के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मंजूरी दे दी थी। 19 अगस्त को सिद्धरमैया ने राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।

याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे, वैधानिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए और मंत्रिपरिषद की सलाह (जो संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी है) सहित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया था।

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सिद्धरमैया ने राज्यपाल के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दलील दी है कि उनका निर्णय कानूनी तौर पर अनुचित, प्रक्रियागत रूप से त्रुटिपूर्ण और असंगत है।

राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां निजी व्यक्तियों ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत अभियोजन की मंजूरी मांगी है, लेकिन 17ए के तहत मंजूरी के लिए शर्त यह है कि एक अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच की जाए।

शेट्टी ने कहा कि यह ध्यान में रखते हुए कि यह एक भ्रष्टाचार का मामला है जिसमें असामान्य रूप से देरी हुई है, इसलिए प्रारंभिक जांच अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि यह 20 साल से अधिक (पुराना) मामला है, क्योंकि वर्ष 1998 में भूमि को गैर अधिसूचित किया गया था।

 
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TAGS: MUDA Scam, Siddaramaiah, Karnataka political crisis, BJP, Trail on Siddaramaiah
OUTLOOK 09 September, 2024
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