एमयूडीए जांच: कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी को राहत, लोकायुक्त पुलिस ने कहा- कोई सबूत नहीं मिला!
कर्नाटक में एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार को कहा कि सबूतों के अभाव में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके। जांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
लोकायुक्त पुलिस ने मामले में शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा को लिखे पत्र में कहा, ‘‘चूंकि मामले में आरोपी-1 से लेकर आरोपी-4 के खिलाफ उपरोक्त आरोप साक्ष्य के अभाव में साबित नहीं हो पाए हैं, इसलिए अंतिम रिपोर्ट उच्च न्यायालय में दाखिल की जा रही है।’’
लोकायुक्त पुलिस ने कहा कि मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा 2016 से 2024 तक 50:50 के अनुपात में प्रतिपूरक भूखंड उपलब्ध कराने के आरोपों की आगे जांच की जाएगी और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 (8) के तहत उच्च न्यायालय को अतिरिक्त अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में, यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धरमैया की पत्नी की अधिग्रहित 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें मैसूरु के एक पॉश इलाके में भूखंड आवंटित किए गए, जिनकी कीमत अधिग्रहित जमीन की तुलना में काफी अधिक थी।
आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था। लोकायुक्त और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ही मामले की जांच कर रहे हैं।