भाजपा और एलजी पर भड़के ‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज, बोले- 'जैसे-जैसे वैलेंटाइन पास आएगा लव लेटर बढ़ते जाएंगे'
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमेन सौरभ भारद्वाज ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल पर निशाना साधा। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल के निर्देश को 'नया प्रेम पत्र' करार दिया। पत्रकारों से बातचीत में भारद्वाज ने कहा, "अपनी कुछ पुरानी आदतों में डूबी बीजेपी ने एलजी को एक और लेटर भेजा है। जैसे जैसे वैलेंटाइन पास आएगा, उसके लव लेटर और बढ़ते जाएंगे।''
उन्होंने कहा, 'बीजेपी बौखला गई है कि हम एक राष्ट्रीय पार्टी बन गए हैं और एमसीडी में उससे सत्ता छीन ली है। एलजी साहब सब कुछ बीजेपी के इशारे पर कर रहे हैं और इससे दिल्ली के लोगों को परेशानी हो रही है। दिल्ली के लोग जितने चिंतित हैं, उतने ही खुश हैं।'
AAP Chief Spokesperson Shri @Saurabh_MLAgk Addressing an Important Press Conference | LIVE https://t.co/QWOVzfuN5S
— AAP (@AamAadmiParty) December 20, 2022
भारद्वाज ने दावा किया, ‘‘ भाजपा, हमारे एक राष्ट्रीय पार्टी बनने और एमसीडी से उन्हें सत्ता से बाहर करने के कारण घबरा गई है। उपराज्यपाल साहब सब कुछ भाजपा के निर्देशों पर कर रहे हैं और इससे दिल्ली के लोगों को परेशानी हो रही है। दिल्ली के लोगों की चिंता जितनी बढ़ती है, भाजपा उतनी खुश होती है।’’
‘आप’ के नेता ने कहा, ‘‘ दिल्ली के उपराज्यपाल के पास कोई अधिकार नहीं है। वह ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते। यह कानून के अनुरूप नहीं हैं। अन्य राज्यों की सरकारें भी विज्ञापन जारी करती हैं। भाजपा की विभिन्न राज्य सरकारों ने भी विज्ञापन जारी किए जो यहां प्रकाशित हुए हैं। हम पूछना चाहते हैं कि विज्ञापनों पर खर्च किए गए 22,000 करोड़ रुपये उनसे कब वसूल किए जाएंगे? जब उनसे पैसा वसूल कर लिया जाएगा, तब हम भी 97 करोड़ रुपये दे देंगे।’’
बिना Power के ही LG Ilegal Order पास कर रहे हैं-
Delhi Govt के Advertisment बाहर कैसे छप रहे हैं?
वहीं BJP शासित राज्यों Gujarat, Karnataka, MP, Haryana, UP, Assam ने करीब 22000 Crore के Ads बाहरी राज्यों में दिए हैं
JP Nadda जी बताएं- BJP ये 22000 Cr कब देगी?
-@Saurabh_MLAgk pic.twitter.com/iepY77JPjH
— AAP (@AamAadmiParty) December 20, 2022
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सौरभ भारद्वाज ने भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, 'बुजुर्गों की पेंशन कई-कई महीनों तक रोकी जा रही है। जल बोर्ड का पैसा कई-कई महीने रोका जा रहा है।' उन्होंने कहा कि एलजी साहब के पास कोई ऐसी पावर नहीं है जो वो ऐसे आदेश पारित करेंगे। एलजी साहब वही करते हैं, जो बीजेपी कहती है। एलजी साहब को कोई कानून की समझ नहीं हैं। अब यह बात साफ होती जा रही है कि बीजेपी का सीधा झगड़ा दिल्ली की जनता से है। यह बीजेपी बनाम दिल्ली की जनता की लड़ाई हो गई है।'
सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'कई साल पहले जो दफन हो चुका मामला था, उसको हेडलाइन बनाकर यह कोशिश की जा रही है, जिससे दिल्ली के काम रोके जा सके। मैं कह रहा हूं कि एलजी साहब और बीजेपी कितनी भी कोशिश कर लें, आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन गई है और अब आगे बढ़ती रहेगी।'
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) से 97 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने 2016 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (सीसीआरजीए) के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए बताया कि ऐसे विज्ञापनों पर 97.14 करोड़ रुपये (97,14,69,137 रुपये) खर्च किए गए जो नियम के अनुरूप नहीं थे।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘ डीआईपी ने इसके लिए 42.26 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान पहले ही कर दिया है और प्रकाशित विज्ञापनों के लिए 54.87 करोड़ रुपये अभी और दिए जाने हैं।’’ उन्होंने बताया कि निर्देश के तहत कार्रवाई करते हुए डीआईपी ने 2017 में ‘आप’ को निर्देश दिया था कि वह सरकारी कोष को तत्काल 42.26 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करे और 30 दिन के भीतर संबंधित विज्ञापन एजेंसियों या प्रकाशकों को सीधे 54.87 करोड़ रुपये की लंबित राशि का भुगतान करे।
सूत्र ने कहा, ‘‘ पांच साल व आठ महीने बाद भी ‘आप’ ने डीआईपी के आदेश का पालन नहीं किया है। यह काफी गंभीर मामला है क्योंकि यह जनता का पैसा है जिसे पार्टी ने आदेश के बावजूद सरकारी कोष में जमा नहीं कराया है। एक पंजीकृत राजनीतिक दल द्वारा एक वैध आदेश की इस तरह की अवहेलना न केवल न्यायपालिका का तिरस्कार है, बल्कि सुशासन के संदर्भ में भी उचित नहीं है।’’
उच्चतम न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों को विनियमित करने और बेकार के खर्च को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2016 में सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (सीसीआरजीए) का गठन किया था। इसमें तीन सदस्य थे।
सीसीआरजीए ने इसके बाद डीआईपी द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों में से उच्चतम न्यायालय के ‘‘दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले’’ विज्ञापनों की पहचान की और सितंबर 2016 में एक आदेश जारी किया था।