कैप्टन के बाद अब गहलोत की जाएगी 'कुर्सी'? पायलट का जारी है दिल्ली 'उड़ान'; क्या प्रियंका-राहुल को झुकना पड़ेगा
कांग्रेस आलाकमान पंजाब में अपने सियासी घमासान को कम करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा लेने में कामयाब रही। नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी बनाए गए हैं। लेकिन, पार्टी के लिए मुसीबतें राजस्थान के सिर चढ़कर बोल रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की उड़ान दिल्ली की ओर है और मुश्किलें सीएम अशोक गहलोत की बढ़ रही है।
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इस चर्चा में उन्हें राज्य का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया, जिससे उन्होंने इंकार कर दिया। पायलट ने कांग्रेस आलाकमान से कहा कि मैं साढ़े छह साल तक पीसीसी अध्यक्ष रहा हूं, ऐसे में फिर इस पद पर काम नहीं करना चाहता हूं। पायलट की इस हफ्ते पहली मुलाकात 17 सितंबर और दूसरी मुलाकात शुक्रवार शाम को हुई थी। इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल मौजूद थे।
मुलाकात के दौरान पायलट को पीसीसी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया गया है, लेकिन उन्होंने दोनों पद लेने से इन्कार कर दिया है। शुक्रवार शाम हुई बैठक में पायलट ने आगामी विधानसभा चुनाव तक राज्य में ही सक्रिय रहने की मंशा जताई है। खबर है कि उन्हें विधानसभा चुनाव से एक साल पहले राज्य की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने का आश्वासन दिया गया है।
जिस तरह से पायलट खेमा दिल्ली आलाकमान पर दवाब बनाने शुरू कर दिये हैं, उससे गहलोत की कुर्सी संकट में आ सकती है। लेकिन, गहलोत को नाराज करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस पार्टी पायलट खेमे का ध्यान रखने और जगह देने की नसीहत गहलोत को दे सकती है।
पायलट-गहलोत की रार एक साल से भी अधिक समय से चल रही है। पिछले साल पायलट खेमे ने दिल्ली में डेरा डाल दिया था। जिसके बाद पायलट समेत कई सदस्यों को पद से हटा दिया गया। दरअसल, पायलट खेमा चाहता है कि सचिन अगले चुनाव का नेतृत्व करें। पिछले चुनाव में भी सचिन पायलट गुट ने लगातार सक्रियता दिखाई थी, और जीत पार्टी के खाते में आईं। लेकिन, सीएम गहलोत को बना दिया गया। जिसके बाद से दोनों गुट में ठनी है।
अब कैप्टन को हटाए जाने के बाद पायलट खेमे को एक और मौका मिल गया है। देखना होगा कि चुनाव से पहले क्या यहां भी पार्टी कोई बड़ा बदलाव करती है।
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