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01 March 2015

अहमद पटेल की सक्रियता के मायने

Jitendra Gupta

कांग्रेस में बड़े-बड़े उतार-चढ़ाव देख चुके , सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल अचानक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो गए। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कांग्रेस के जंतर-मंतर पर दिए गए धरने में वह न सिर्फ शरीक हुए बल्कि वहां से उन्होंने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से अपने-अपने इलाकों में इस मुद्दे पर संघर्ष करने का आह्वान किया। राज्यसभा में उन्होंने देश में यूरिया के संकट पर सवाल उठाया। जिस तरह से उन्होंने रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा पेश किए रेल बजट आम आदमी और किसान विरोधी बताया और कहा कि रेल बजट में पेश लगाए गए 10 फीसदी वृद्धि को वापस लेने की मांग की, उससे यह लगता है कि कांग्रेस में नई बयार चल निकली है। कांग्रेस में अभी तक ये सब नहीं होता रहा है। अहमद पटेल के व्यवहार में इस तब्दली को जानकार कांग्रेस के रूप में परिवर्तन के संकेत हैं। वरना कांग्रेस का धरना प्रदर्शन से तो कब का रिश्ता टूट चुका है।

अहमद पटेल और उनके करीबियों को यह पञ्चका आभास है कि पार्टी के भीतर बन रहे नए केंद्रक के मुताबिक नए तेवर अपनाना जरूरी है। राहुल गांधी के कद को बढ़ाने के लिए भी एक तरफ आम जन के मुद्दों से जुडऩा जरूरी है और दूसरी तरफ कांग्रेस के शीर्ष और निष्प्रभावी नेताओं को किनारे करने के लिए भी रणनीति बनानी जरूरी है। कांग्रेस में दोनों पहलुओं पर विचार तो खूब हो रहा है लेकिन इसका बहुत ठोस फायदा होता दिख नहीं रहा। अहम पटेल खेमे की माने तो अचानक बजट सत्र में राहुल गांधी का छुट्टी पर जाना भी कांग्रेस के जमीन से कटे नेताओं के लिए शॉक ट्रीटमेंट है। बजट सत्र के बाद पार्टी के भीतर बड़े परिर्वतनों की तैयारी जोरों पर है। अहमद पटेल सहित तमाम बाकी नेता आने वाले दिनों में सडक़ से लेकर संसद तक और अधिक सक्रिय दिकाई देंगे।

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TAGS: अहमद पटेल, रेल बजट, कांग्रेस, संसद
OUTLOOK 01 March, 2015
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