इंसुलिन, चिकित्सक के परामर्श से वंचित कर केजरीवाल को ‘‘धीमी मौत’’ की ओर धकेला जा रहा: ‘आप’ का आरोप
आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इंसुलिन और चिकित्सक के परामर्श से वंचित रखकर तिहाड़ जेल में उन्हें ‘‘धीमी मौत’’ की ओर धकेला जा रहा है।
पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित केजरीवाल इंसुलिन दिए जाने और अपने पारिवारिक चिकित्सक से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात कराए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जेल प्रशासन उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं कर रहा।
भारद्वाज ने जेल में मुख्यमंत्री के रक्त शर्करा स्तर का हवाला देते हुए कहा, ‘‘मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि केजरीवाल को धीमी मौत देने की साजिश की जा रही है।’’ उन्होंने केजरीवाल को इंसुलिन देने से कथित तौर पर इनकार करने के लिए तिहाड़ प्रशासन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल की भी आलोचना की और कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पिछले 20-22 साल से मधुमेह से पीड़ित हैं।
केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय पर जेल में उनके आहार को लेकर ‘‘संकीर्ण’’ सोच रखने और राजनीति करने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को एक अदालत के समक्ष कहा था कि उन्होंने जो खाना खाया वह उनके चिकित्सक द्वारा तैयार किए गए आहार चार्ट के अनुरूप था। उन्होंने जेल में उन्हें इंसुलिन दिए जाने का अनुरोध किया।
केजरीवाल की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी के बाद से उनके शर्करा स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन नहीं दिया गया है। उन्होंने इसे ‘‘चौंकाने वाला’’ और ‘‘खतरनाक’’ बताया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष दावा किया था कि केजरीवाल चिकित्सकीय आधार पर जमानत का आधार तैयार करने के लिए जेल में प्रतिदिन आम और मिठाइयों जैसे उच्च शर्करा वाले आहार ले रहे हैं, जबकि वह ‘टाइप-2’ मधुमेह से पीड़ित हैं।
सिंघवी ने अदालत से कहा था, ‘‘आरोप है कि मैं (केजरीवाल) आम खा रहा हूं... घर से 48 बार भोजन भेजा गया, जिसमें से केवल तीन बार आम भेजे गए।’’
भारद्वाज ने कहा कि अदालत ने केजरीवाल को रक्त शर्करा के स्तर पर दैनिक आधार पर नजर रखने के लिए जेल में एक मशीन का उपयोग करने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह केजरीवाल को खत्म करने की एक साजिश थी ताकि उनके अंग काम करना बंद कर दें और जब वह दो-चार महीने के बाद जेल से बाहर आएं तो गुर्दे, हृदय और अन्य अंगों का इलाज कराने जाते रहें।’’