Advertisement
01 July 2020

गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप से पहले दिल्ली सरकार कोविड-19 प्रबंधन को लेकर दिशाहीन थी - गौतम गंभीर

पूर्व क्रिकेटर और भारतीय जनता पार्टी के सांसद गौतम गंभीर का कहना है कि  यह दिल्ली सरकार की शालीनता थी जिसके कारण कोविड-19 महामारी में राजधानी की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ध्वस्त हो गई। आउटलुक की प्रीथा नायर को दिए एक साक्षात्कार में गौतम गंभीर ने कहा की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रभावी हस्तक्षेप के बाद दिल्ली दोबारा पटरी पर लौट रही है। साक्षात्कार के कुछ अंश:

आपके और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के बीच छतरपुर में कोविड-19 सुविधा केंद्र को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बहस हुई। आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा इस केंद्र का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है?

बीजेपी कोई क्रेडिट नहीं लेना चाहती मैं इस बात को बहुत स्पष्ट कर देना चाहता हूं। जब मैंने गृह मंत्री अमित शाह से बात की तो उन्होंने मुझे बताया कि वह इस सुविधा का निरीक्षण करने के लिए वहां जा रहे हैं। लेकिन संजय सिंह ने आरोप लगाया कि गृहमंत्री इसका उद्घाटन करने जा रहे हैं। संजय सिंह को अपने तथ्यों को सही ढंग से प्राप्त करने की आवश्यकता है। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी सुविधा की जांच के लिए आमंत्रित किया था और यह किसी भी उद्घाटन के बारे में नहीं था।

Advertisement

उस कोविड केंद्र का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा गया है और आम आदमी पार्टी से पटेल के लिए सच्ची श्रद्धांजलि बता रही है

यदि कोविड केंद्र दिल्ली सरकार द्वारा बनाया गया है तो मैं उसका नाम पटेल के नाम पर नहीं रखेंगे। यह केवल गृह मंत्री के हस्तक्षेप के बाद ही हुआ कि 10,000 बेड की सुविधा का यह केंद्र बनाया जा सका। अन्यथा कोई भी इसके बारे में बात तक नहीं कर रहा था।

लेकिन मुख्यमंत्री महामारी से लड़ने में केंद्र की सहायता की प्रशंसा कर रहे हैं

केजरीवाल भावनात्मक खेल खेलना बहुत पसंद करते हैं। अगर उन्होंने पिछले 4 महीने में कुछ किया है तो वह केवल श्रेय लेने का काम किया है। उन्हें भी मालूम है कि केवल गृह मंत्री के हस्तक्षेप के कारण ही स्थिति नियंत्रण में आई है। मुख्यमंत्री संकट को संभालने में सक्षम नहीं थे इसीलिए उन्होंने गृह मंत्रालय और भाजपा से हस्तक्षेप की मांग की। केजरीवाल केवल गंदी राजनीति करते हैं लेकिन भाजपा ऐसा नहीं करती। अब जाकर लोगों को यह पता चल गया है कि किस ने दिल्ली को धोखा दिया और कौन श्रेय का हकदार है।

क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार ने महामारी से लड़ने में खराब काम किया है

दिल्ली सरकार के पास कोई योजना नहीं थी और सरकार 14 जून अमित शाह के हस्तक्षेप से पहले से दिशाहीन थी। अमित शाह के केजरीवाल और अन्य लोगों के साथ उच्च स्तरीय बैठक करने के बाद की चीजें सही होने लगी जिसमें की सबसे महत्वपूर्ण था छतरपुर में 10,000 बेड की सुविधा वाला केंद्र जिसको की आइटीबीपी द्वारा निर्मित किया गया। उसके बाद से ही बहुत सारे परीक्षण भी हो रहे हैं। साथ ही अधिकारियों के बीच एक बेहतर तालमेल देखने को मिल रहा है और अब मैं दिल्ली को लेकर काफी सकारात्मक हूं।

केंद्र पिछले 14 दिनों में क्या नीतियां लाई हैं?

10,000 बेड पहले कहां थे? वह इसे 3 महीने पहले भी कर सकते थे। इससे पहले कोई परीक्षण भी नहीं हो रहा था। इसके अलावा निजी अस्पतालों के शुल्क को निर्धारित क्यों नहीं किया गया? मैंने इसके बारे में मुख्यमंत्री को प्रस्ताव दिया था ताकि जनता के लिए इलाज सस्ता हो सके। लेकिन केवल गृह मंत्री के हस्तक्षेप के बाद ही यह सब क्यों हुआ इसीलिए मैं इन सभी चीजों का श्रेय गृह मंत्री अमित शाह को देना चाहता हूं क्योंकि हमें व्यक्तिगत रूप से दिल्ली की देखभाल कर रहे हैं इसीलिए जी से भी बेहतर होने लगी है।

आप कह रहे थे कि भाजपा के सांसदों से सलाह नहीं ली गई थी?

हमने सीएम को सुझाव दिए थे लेकिन उनमें से एक भी लागू नहीं हुआ। साथ ही हम हमेशा उनका समर्थन करने के लिए वहां मौजूद थे। सभी सांसदों ने शुरू से ही उन्हें पूरा समर्थन दिया था। यह सीएम की जिम्मेदारी है कि वह हम से सलाह लें। उन्होंने हमारे साथ केवल 1 जून बैठक की जिसमें कि उन्होंने कोई नेक इरादा भी नहीं दिखाया। लेकिन गृहमंत्री ने अपने इरादे दिखाएं और चीजें सही होने लगी। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा संगरोध नीतियों पर भ्रम और अराजकता थी।

क्या आपको नहीं लगता इस चीज से स्वास्थ्य प्रणाली को नुकसान पहुंचा होगा?

अब सभी चीजों को सुलझा लिया गया है। सभी को अब मिलकर काम करना होगा। अंततः सबसे बड़ी पीड़ित जनता ही होगी। चाहे वह केजरीवाल हो या एलजी हो जो भी सत्ता में हो उन्हें दिल्ली और अपने लोगों के कल्याण के बारे में सोचने की जरूरत है।

क्या आपको लगता है कि राज्य सरकार ने सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लॉकडाउन अवधि का उपयोग नहीं किया?

इसके लिए आप परिणाम देख सकते हैं। अगर ऐसा ना होता तो दिल्ली कोविड-19 ओं में मुंबई से आगे नहीं निकलती। अब अतीत में जो कुछ हुआ है उसका राजनीतिकरण करने का समय नहीं है। अगर पहले ही कुछ हफ्तों या महीनों में चीजें ठीक से हो जाती तो हम ऐसी स्थिति में पहुंचते ही नहीं। सरकार ने इसे बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया। वे पीपीई किट,परीक्षण किट एवं प्रवासियों को राशन तक प्रदान करने में विफल रहे।

लेकिन पीपीई किट और परीक्षण किट तो केंद्र सरकार से आनी चाहिए?

दिल्ली सरकार ने यह दावा किया कि वह एक  करोड़ प्रवासियों की देखभाल कर रहे हैं। सीएम ने कहा उनके पास पीपीई किट खरीदने के लिए पैसे हैं। लेकिन उन्होंने एक भी किट नहीं खरीदी। यह सीएम द्वारा किए गए सभी झूठे दावे थे। जिस समय केजरीवाल बड़ी घोषणाएं करने में व्यस्त है उसी वक्त निजी अस्पताल राजधानी में माफिया की तरह काम कर रहे थे। उन्होंने किसी भी निजी अस्पताल के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई?

दिल्ली सरकार का दावा है कि वह किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक परीक्षण कर रहे हैं

दिल्ली सरकार ने कई चीजों के वादे किए हैं। उन्होंने कहा कि 30000 बेड वाला सुविधा केंद्र उपलब्ध है लेकिन जब मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा तो उन्होंने कहा कि केवल ढाई हजार बेड ही उपलब्ध है। यदि सीएम पारदर्शी होते तो उन्हें उचित डाटा डालना चाहिए था। लोग एड़ी चोटी की ताकत लगाकर बैठ भूलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन किसी को बेड नहीं मिल रहा था। उन्हें अपनी ऐप पर सही विवरण देना चाहिए था।

क्या आपको लगता है कि दिल्ली ने अनलॉक एक के दौरान जल्दबाजी में प्रतिबंधों को कम किया?

केजरीवाल को सब कुछ जल्दी इसलिए खोलना पड़ा क्योंकि उनकी सरकार के पास पैसा ही नहीं था। उन्होंने चुनाव से पहले सब कुछ मुफ्त में दिया था इसीलिए उन्हें पैसा कमाने के लिए शराब की दुकानें खोलने पड़ी। शराब की दुकानों के खुलने के बाद सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया जिसके परिणाम स्वरूप मामले और ज्यादा बढ़ने लगे। केजरीवाल के पास कोई आकस्मिक योजना नहीं है। उन्हें पंजाब और केरल जैसे राज्यों से सीखना चाहिए। साथ ही उत्तर प्रदेश की सरकार से भी सीखना चाहिए जिन्होंने 16 लाख प्रवासियों को वापस लिया।

केंद्र सरकार ने पहले हस्तक्षेप क्यों नहीं किया?

इस पूरी महामारी के दौरान सीएम कहते रहे की चीजें उनके नियंत्रण में है। लेकिन उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने के लिए जब कहा जब लोग काफी पीड़ित होने लगे।

दिल्ली सरकार का कहना है कि उनके हाथ बंधे हुए हैं

अगर सब कुछ ही केंद्र सरकार से आना है तो राज्य में सीएम किस लिए हैं? क्या केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए? वह मुफ्त बिजली और पानी उपलब्ध कराने के निर्णय तो ले सकते हैं लेकिन जब कोई उनसे सवाल करता है तो उनके पास जवाब होता है कि उनके हाथ बंधे हुए हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Before, the intervention, Home Minister, Amit Shah, Delhi government, directionless, about, Kovid-19, management, Gautam Gambhir
OUTLOOK 01 July, 2020
Advertisement