रे की ‘संदिग्ध जघन्य हत्या’ पश्चिम बंगाल में ‘गुंडाराज’ को उजागर करती है: जेपी नड्डा
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में पार्टी के विधायक दीबेन्द्र नाथ रे की मौत को ‘‘जघन्य हत्या’’ का संदिग्ध मामला करार देते हुए सोमवार को इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह घटना पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार में व्याप्त ‘‘गुंडा राज’’ और कानून एवं व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है। वरिष्ठ भाजपा नेता रे का शव पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में स्थित उनके घर के पास सोमवार सुबह लटका मिला।
नड्डा ने ट्वीट किया, ‘‘पश्चिम बंगाल के हेमताबाद से भाजपा विधायक दीबेन्द्र नाथ रे की संदेहास्पद परिस्थितियों में की गई जघन्य हत्या बहुत चौंकाने वाली और निंदनीय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह घटना ममता राज में गुंडा राज और कानून एवं व्यवस्था की विफलता की कहानी बयां करती है। भविष्य में बंगाल की जनता ऐसी सरकार को कभी क्षमा नहीं करेगी। हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं।’’
रे ने हेमताबाद की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से माकपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी, लेकिन पिछले साल लोकसभा चुनाव के बाद वह भाजपा में शामिल हो गए थे। रे के परिवार वालों ने उनकी हत्या किए जाने का संदेह व्यक्त करते हुए घटना की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है। परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि उनकी हत्या की गई है।
इस हत्या की सीबीआई जांच होनी चाहिए। ’’प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने भी रे की मौत को ‘‘सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई निर्मम हत्या’’ करार दिया है।
इस बीच, भाजपा महासचिव एवं पश्चिम बंगाल के पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी घटना को ‘‘निंदनीय और कायरतापूर्ण कृत्य’’ बताया और प्रश्न उठाया कि क्या उन्हें भाजपा में शामिल होने की सजा दी गई है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘निंदनीय और कायरतापूर्ण कृत्य !!! ममता बनर्जी के राज में भाजपा नेताओं की हत्या का दौर थम नहीं रहा। माकपा छोड़ भाजपा में आये हेमताबाद के विधायक दीबेन्द्र नाथ रे की हत्या कर दी गई। उनका शव फांसी पर लटका मिला। क्या इनका गुनाह केवल भाजपा में आना था ?’’
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को कैसे कुचला जाता है, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इसका जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक मतभेदों को हिंसक तरीके से दबाया जा रहा है, लेकिन लोकतंत्र का यह मखौल ज्यादा दिन का नहीं है! आखिर ममता राज का निर्णय तो जनता ही करेगी।’’