बेंगलुरु: विपक्ष की महाबैठक का दूसरा दिन: खड़गे बोले "हम जानते हैं कि हम में से कुछ लोगों के बीच मतभेद हैं"
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आह्वान पर बेंगलुरु में 17 जुलाई और 18 जुलाई को विपक्षी दलों की बैठक आहूत की गई थी। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 23 जून को बिहार के पटना में हुई बैठक के बाद यह केवल दूसरी बैठक है। आज मंगलवार को बैठक के आखिरी दिन भी नेताओं का आना जाना रहा। खड़गे ने कहा, "हम जानते हैं कुछ लोगों के बीच मतभेद हैं।"
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार मंगलवार को विपक्ष की बैठक के दूसरे और समापन दिन में हिस्सा लेने के लिए बेंगलुरु पहुंचे। वरिष्ठ विपक्षी नेता मेगा संयुक्त बैठक के पहले दिन शामिल नहीं हुए थे, जहां 26 समान विचारधारा वाली पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के एक साझा लक्ष्य के साथ एकजुट हुईं।
बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- हम जानते हैं कि राज्य स्तर पर हममें से कुछ लोगों के बीच मतभेद हैं। ये मतभेद विचारधारा नहीं हैं। उन्होंने कहा, "ये मतभेद इतने बड़े नहीं हैं कि हम उन्हें आम आदमी , माध्यम वर्गीय परिवार, युवा, गरीब, दलित, आदिवासी आदि के हितों के पीछे ना रख सकें। चूंकि इनके अधिकार मौन रूप से कुचले जा रहे हैं।"
खड़गे ने कहा, " हम यहां 26 पार्टियां हैं। हम सब मिलकर आज 11 राज्यों में सरकार में हैं। बीजेपी को अकेले 303 सीटें नहीं मिलीं। उसने अपने सहयोगियों के वोटों का इस्तेमाल किया और सत्ता में आई और फिर उन्हें त्याग दिया। आज भाजपा अध्यक्ष और उनके नेता अपने पुराने सहयोगियों से समझौता करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य भाग-दौड़ कर रहे हैं।"
बता दें कि मंगलवार सुबह, सीपीआई महासचिव डी राजा भी, तमिलनाडु के सीएम और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और पार्टी सांसद टीआर बालू, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी नेता ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव, पार्टी सांसद राम गोपाल यादव, झारखंड के सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष की बैठक के दूसरे दिन पहुंचे।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और पार्टी सांसद मनोज झा भी बैठक में शामिल होने पहुंचे। लालू प्रसाद यादव ने कहा, "हमें नरेंद्र मोदी को विदाई देनी होगी।" बता दें कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी नेता राहुल गांधी बैठक के लिए सबसे पहले यहां पहुंचे थे।
गौरतलब है कि बैठक का उद्देश्य एक ऐसे गठबंधन का निर्माण करना है, जो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को टक्कर दे सके। इस बीच, विपक्षी दल की बैठक के पहले दिन की शुरुआत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा आयोजित रात्रिभोज बैठक से हुई।
रात्रिभोज के बाद कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि बैठक की शुरुआत अच्छे संकेतों के साथ हुई है और 2024 में भाजपा का अंत तय है। माना जा रहा है कि बैठक में राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट साझा करने की प्रक्रिया पर चर्चा होगी और गठबंधन के लिए नाम भी चर्चा का विषय हो सकता है।
विपक्षी दल ईवीएम के मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं और चुनाव आयोग को सुधारों का सुझाव दे सकते हैं। विपक्षी नेताओं ने प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय भी स्थापित किया। इसके अलावा, कई समितियों के गठन की उम्मीद है जो गठबंधन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठकें करेंगी। विभिन्न समूह और उप-समूह भी बनाये जा सकते हैं।
इस बैठक में एक संयोजक नियुक्त किया जा सकता है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने के अलावा विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए समूहों का गठन किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस चाहती है कि गठबंधन का अध्यक्ष, उनके दल से हो। हालांकि, पार्टी इस मामले पर अड़ी नहीं होगी और विपक्षी दलों के संयुक्त निर्णय के अनुसार चलने को तैयार होगी।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। वह प्रधानमंत्री पद की दावेदार भी नहीं हैं और विपक्ष की दो दिवसीय बैठक में हिस्सा ले रही हैं। सूत्रों ने यह भी कहा कि विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनावों को "एक नेता बनाम मोदी" के बीच की लड़ाई नहीं बनाना चाहते हैं, बल्कि मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं और इसे "मोदी बनाम जनता" की लड़ाई बनाना चाहते हैं।