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06 September 2022

बिहार में भाजपा अपना रही है ये रणनीति, नीतीश से अलग होने के बाद बढ़ा बड़े नेताओं का फोकस

भाजपा नीतीश कुमार की जदयू से अलगाव के बाद बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में एक बार फिर से एड़ी-चोटी एक कर रही है। जानकारी के अनुसार भाजपा के दिग्गज नेता और गृहमंत्री अमित शाह नेतृत्व में बिहार भाजपा को ताकतवर बनाने के लिए पूरा दमखम लगाने की तैयारी में है। भाजपा बिहार में अपनी रणनीति को नए सिरे से तैयार कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि एक ओर भाजपा नीतीश के झटके से सत्ता से बाहर हो गई है तो वहीं वह इसे अपने दम पर विस्तार करने के अवसर के तौर पर भी देख रही है। यही कारण है कि पार्टी के कद्दावर नेताओं ने बिहार पर अपना ध्यान बढ़ा दिया है। गृहमंत्री अमित शाह बिहार का दौरा करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी खासतौर पर सीमांचल इलाके पर फोकस कर रही है, जहां ध्रुवीकरण की संभावनाएं ज्यादा हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश और झारखंड के जैसे ही बिहार में भी अपने दम पर आगे बढ़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री शाह आगामी 23-24 सितंबर को सूबे के पूर्वोत्तर छोर पर स्थित सीमांचल का दो दिवसीय दौरे करेंगे।

इस दौरे को लेकर सियासी गलियारों में इसलिए भी चर्चा है क्योंकि जदयू से गठबंधन टूटने के बाद अमित शाह का बिहार में यह पहला दौरा होगा। माना जा रहा है कि शाह का यह दौरा आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। इसे लेकर प्रदेश भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल ने कहा, “अमित शाह दो दिनों के लिए हमारे राज्य में आ रहे हैं। वह 23 सितंबर को पूर्णिया पहुंचेंगे और एक जनसभा को संबोधित करेंगे। दौरे के दौरान वो किशनगंज भी जाएंगे और केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं का जायजा भी लेंगे।"

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जायसवाल ने आगे बताया कि शाह सीमांचल क्षेत्र के जिन क्षेत्रों का दौरा करेंगे, उनमें कटिहार, अररिया और किशनगंज जिले शामिल हैं, मुस्लिम बहुल सीमांचल में अमित शाह की यात्रा से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। बता दें कि साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इन जिलों में मुस्लिम आबादी 30 से 68 प्रतिशत के के बीच है।

गृहमंत्री अमित शाह के इस दौरे को सूबे में भाजपा के मिशन 2024 की शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है। भाजपा का दावा है कि वह 2024 में बिहार की 35 लोकसभा सीटों को जीतने पर जोर दे रही है। दरअसल, भाजपा और जेडीयू के एनडीए गठबंधन ने 2019 के आम चुनाव में 39 सीटें जीती थीं। एनडीए द्वारा हासिल की गई 39 सीटों में से भाजपा के पास 17, जदयू को 16 और दिवंगत रामविलास पासवान की तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटें मिली थीं। मगर इस बार समीकरण पूरी तरह से जुदा है। भाजपा अलग है, जबकि जेडीयू ने आरजेडी, कांग्रेस, हम, सीपीआई सहित  कुल 6 दलों के साथ गठबंधन कर लिया है।

ऐसे में आलोचकों का मानना है कि नीतीश कुमार के अलग होने के बाद भाजपा ने आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है और पार्टी का प्रयास होगा कि सीमांचल के क्षेत्र में वह ध्रुवीकरण कर सके, जहां मुस्लिम आबादी बड़ी तादाद में हैं।

हालांकि इस मसले पर अध्यक्ष संजय जायसवाल का कहना है, 'अमित शाह भाजपा के जनसंपर्क अभियान के तहत आ रहे हैं। सीमांचल में पहले पहले से तय किए गए थे। अब उसके आगे की योजनाओं पर भी काम किया जाएगा। यदि कुछ लोग हर चीज को जाति और धर्म के ऐंगल से ही देखना चाहते हैं तो फिर हम क्या कर सकते हैं। हमारा काम नहीं रुकेगा।'

 

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TAGS: Bihar, Amit Shah, BJP, Bihar BJP, बिहार, अमित शाह, भाजपा, बिहार भाजपा
OUTLOOK 06 September, 2022
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