भाजपा संसद में व्यवधान खड़ा कर रही है : येचुरी
नयी दिल्ली। संसद में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सरकार द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक से पहले मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी ने आज भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को ही सदन में व्यवधान के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसपर महज बहस के लिए बहस कराने की आड़ में जवाबदेही से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया। माकपा ने यह कहते हुए केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस्तीफे की मांग पर अपना रुख बरकरार रखा है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने उनके विरूद्ध आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए इसे जरूरी बताया है।
माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के आगामी अंक में एक आलेख में येचुरी ने कहा, यह भाजपा सरकार महज बहस के लिए बहस कराने की आड़ में जवाबदेह बनने से बच रही है। यह भाजपा सरकार ही है जो आज संसदीय व्यवधान पैदा कर रही है। पार्टी महासचिव येचुरी ने सदन में विपक्ष के रूख को बिल्कुल सही ठहराते हुए कहा कि संसदीय बहस जांच का विकल्प नहीं हो सकती। ये आरोप गंभीर हैं जिनकी उच्चतम स्तर पर जांच की जरूरत है।जैसा कि किसी भी सरकारी सेवक के लिए व्यवस्था है कि जबतक जांच जारी रहती है आरोपी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए अपना पद छोड़ देता है। यही वह बुनियादी बात है जिसकी इस भाजपा सरकार से मांग की जा रही है।
हालांकि सरकार ने कहा है कि कोई भी इस्तीफा नहीं देगा। वह गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष अहम विधेयकों को पारित होने में अड़ंगा लगा रहा है और संसद में बहस से बच रहा है।
भाजपा के इस आरोप पर येचुरी ने कहा, संसद प्रभावी विधायी छानबीन के माध्यम से कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती है और वह एेसा बहस के जरिए नहीं बल्कि आरोपों की जांच के लिए कार्यपालिका पर दबाव डालकर कर सकती है। माकपा नेता ने कहा, हम भाजपा के वर्तमान दोहरेपन का खुलासा करने के लिए और पीछे जा सकते हैं। 1995 में अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन संचार मंत्री सुखराम के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा था, 'हम महज बहस के लिए बहस नहीं चाहते हैं'।
येचुरी ने कहा, 'ललित मोदी प्रकरण, व्यापमं घोटाला, महाराष्ट्र में हुए घोटाले में दो भाजपा मंत्रियों की संलिप्तता, भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली घेाटाले से नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का मिथक पूरी तरह धराशायी हो चुका है। विपक्ष मोदी सरकार से जो मांग रहा है, वह यह है कि पहले वे जिस मापदंड की मांग कर रहे थे, अब वह अपने पर भी लागू करें। अतीत में अपने ही रूख की तुलना में भाजपा के अब अपनाये जा रहे चालबाज रूख पर विचार तो कीजिए।'