''भाजपा सरकार ने मणिपुर में समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया, इसलिए दंगे हुए": ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दावा किया कि मणिपुर की भाजपा सरकार ने हिंसा प्रभावित राज्य में मूल समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है और यही कारण है कि हिंसा भड़क रही है।
उन्होंने कहा, "हम मणिपुर में हिंसा देख रहे हैं, जहां लोग अपने घरों में छिपे रहने को मजबूर हैं। भाजपा सरकार ने राज्य में समुदायों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है, जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। ममता बनर्जी ने सोमवार को बीरभूम में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कही।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल में कामतापुरी और राजबंगशियों (जनजाति) में भी फूट डालने का प्रयत्न कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, "यहां (बंगाल में) भी, वे कामतापुरी और राजबंगशियों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच, बंगाल सरकार ने कामतापुरी अकादमी, राजबंग्शी अकादमी और पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय की स्थापना की है। हम सभी महापुरुषों को उनके संबंधित समुदायों से पहचानते हैं और उनकी जयंती पर छुट्टियां देते हैं।"
बता दें कि मणिपुर में पहली बार तीन मई को तब दंगा भड़का था जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया। हिंसा से पहले कुकी ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव था, जिसके कारण कई छोटे आंदोलन हुए थे।
विदित हो कि मणिपुर की आबादी में मेइती लगभग 53 प्रतिशत हैं और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी - नागा और कुकी - आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी पर रहते हैं। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को राज्य में मौजूदा स्थिति से संबंधित महत्वपूर्ण सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए संयुक्त मुख्यालय (सीएचक्यू) की एक बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "मणिपुर में मौजूदा स्थिति से संबंधित महत्वपूर्ण सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए आज अपने कार्यालय में संयुक्त मुख्यालय (सीएचक्यू) की एक बैठक की अध्यक्षता की। यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं कि राज्य में, विशेषकर घाटी की तलहटी में हिंसा तुरंत रुक जाए।" बैठक में राज्य सरकार, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।