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09 December 2015

वीरभद्र को हटाने के लिए राष्ट्रपति से मिले भाजपा नेता

आउटलुक

 भाजपा नेताओं के मुताबिक जब वीरभद्र सिंह इस्पात मंत्री थे तब भी उन पर दो करोड़ 80 लाख रुपये लेने के आरोप लगे थे। इसलिए उनका विभाग बदलकर उन्हें महत्वहीन विभाग दे दिया था। ज्ञापन में भाजपा नेताओं ने कहा है कि जब सिंह केंद्र सरकार में मंत्री थे तब उन्होने 2008 से 2011 के बीच अपने व अपने परिवार का बीमा करवाने हेतु छह करोड़ पचास लाख रुपये की एकमुश्त किश्त एलआईसी एजेंट आनंद चौहान के खाते में डाली थी।

इसके अलावा जून 2011 से नवंबर 2011 के बीच वी. चंद्शेखर के बैंक खातों से वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में 5 करोड़ 90 लाख रूपये की धनराशि हस्तांतरित की गई। वी. चंद्रशेखर की कंपनी हिमाचल प्रदेश में बिजली बनाने का काम करती है। गौरतलब है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद से भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दबाव डाल रही है। सितंबर में सीबीआई द्वारा इस संबंध में आपराधिक शिकायत दर्ज करने पर संज्ञान  लेते हुए प्रवर्तन निदेशालय  ने कांग्रेस नेता के खिलाफ मनी लॉड्रिंग निवारक कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक मामला दर्ज किया है।

एजेंसी इस आरोप की जांच करेगी कि सिंह और उनके परिवार के सदस्यों ने वर्ष 2009-11 के बीच 6.1 करोड़ रूपये की संपत्ति कथित तौर पर एकत्रा की जो उनके आय के ग्यात स्रोतों से अधिक थी। उन दिनों सिंह केंद्रीय इस्पात मंत्री थे। जांच एजेंसी को संदेह है कि सिंह ने एक एलआईसी एजेंट के माध्यम से अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की जीवन बीमा पॉलिसियों में 6.1 करोड़ रूपये का कथित तौर पर निवेश किया और दावा किया कि यह राशि उनकी कृषि से हुई आमदनी है। राष्ट्रपति को ज्ञापन साैंपने वाले प्रमुख नेताओं में  केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और शांता कुमार, सांसद अनुराग ठाकुर आदि लोग शामिल थे। 

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TAGS: हिमाचल प्रदेश, वीरभद्र सिंह, भ्रष्टाचार, राष्‍ट्रपति, प्रणब मुखर्जी, जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, jp nadda, bjp, himachal pradesh, bjp, Virbhadra singh
OUTLOOK 09 December, 2015
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