महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर ने बढ़ाई भाजपा की परेशानी, फडणवीस की राह नहीं है आसान
हरियाणा की तर्ज पर अब महाराष्ट्र में भी दबाव की राजनीति दिखाई दे रही है। दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सब कुछ आसान नहीं रहा। हरियाणा की गुत्थी तो फिलहाल जेजेपी से गठबंधन के बाद सुलझ गई है लेकिन महाराष्ट्र में शिवसेना सत्ता में भागीदारी के लिए भाजपा के सामने 50-50 के फॉर्मूले की बात कर रही है। यानी भाजपा की नाव हरियाणा में पार लग गई है लेकिन महाराष्ट्र में मझधार में अटकी हुई है।
गठबंधन द्वारा बहुमत हासिल करने के बावजूद शिवसेना और भाजपा में सत्ता की भागीदारी को लेकर अभी सब कुछ तय नहीं हो पाया है। दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं। इस बार भाजपा की स्थिति पिछले बार जैसी नहीं है। भाजपा के पास बिना शिवसेना के सरकार बनाने का विकल्प भी नहीं है और इसी का शिवसेना फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। शिवसेना ने आंखे तरेरना शुरु कर दिया है। अब भाजपा शिवसेना की कितनी बात मानेगी और कितनी अपनी मनवा पाएगी, इस पर हर किसी की नजर है।
पिछली बार की स्थिति
पांच साल पहले भाजपा और शिवसेना अलग चुनाव लड़ी थीं, लेकिन इस बार दोनों ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी तो बनकर उभरी, लेकिन पिछली बार जैसा चमत्कार नहीं दिखा पाई। इस बार उसकी सीटें भी घट गई। पिछली बार भाजपा को 122 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार उसे 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 के 63 की तुलना में घट कर 56 हो गई।
दोनों दलों की अपनी सीमाएं
विश्लेषक अरविंद मोहन कहते हैं कि शिवसेना और भाजपा के पास यूं तो कोई विकल्प नहीं है लेकिन शिवसेना हरियाणा की तर्ज पर दबाव की रणनीति जरूर अपना सकती है। पिछली बार मोदी लहर में भाजपा ने शिवसेना को कोई भाव नहीं दिया था लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है और भाजपा के लिए शिवसेना के साथ सरकार में भागीदारी की मजबूरी जरूर है। वैसे भी दोनों ही दलों को पता है कि उनकी अपनी सीमाएं क्या हैं और वह अन्य पार्टियों के साथ किस हद तक जा सकती हैं।
सभी के अपने-अपने दावे
नतीजों के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस बार 50-50 के फॉर्मूले पर आगे बढ़ा जाएगा और किसी भी तरह नहीं झुका जाएगा तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना से जो तय हुआ है, वही होगा। अभी भी पहले जैसी ही स्थिति है। शिवसेना ने चुनाव प्रचार के दौरान आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार कहा है कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे।
अब लिखित प्रमाण पर अड़ी शिवसेना
शिवसेना ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए कह रही है कि भाजपा लिखकर दे। साथ ही उसका कहना है कि दोनों दलों को कैबिनेट में बराबर जगह मिलेगी।
भाजपा ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए 30 अक्टूबर को बैठक बुलाई है। समझा जाता है कि दीपावली बाद दोनों दल सरकार बनाने के लिए बातचीत करेंगे। अब सवाल यही है कि दोनों दल कब तक इस मसले को सुलझा पाते हैं और कहां तक अपनी बात मनवा सकते हैं।