अब बजट को लेकर भाजपा-कांग्रेस में तकरार, सरकार पर लगा जनता को गुमराह करने का आरोप
अलग-अलग मुद्दों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलने वाली कांग्रेस ने अब बजट को लेकर निशाना साधा है। आगामी 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियोें में तकरार बढ़ गई है। भाजपा का कहना है कि मोदी सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। ऐसा कोई नियम नहीं कि चुनाव से पहले सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर सकती। चुनाव के बाद आने वाली सरकार चाहे तो बदलाव कर सकती है। इस पर कांग्रेस का कहना है कि सरकार को सात दशक की परंपरा का पालन करते हुए अंतरिम बजट ही लाना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार द्वारा पूर्ण बजट प्रस्तुत करना सभी नियमों और स्थापित संसदीय परम्पराओं के खिलाफ है। सरकार का कार्यकाल पांच वर्ष का है जो मई 2019 में समाप्त हो जाएगा। पांच बजट प्रस्तुत करने के बाद, सरकार केवल लेखानुदान पेश कर सकती है।
‘बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके जनता को गुमराह करना चाहती है भाजपा’
आनंद शर्मा ने कहा, 'बजट प्रस्तुत करने के लिए सरकार के लिए 12 महीने का कार्यकाल शेष होना चाहिए। सरकार का यह फैसला विचित्र व अभूतपूर्व है, क्योंकि केवल 3 महीनों का कार्यकाल शेष है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बजट के 75 दिन के अंदर वित्त विधेयक पारित करना होता है।
शर्मा ने दावा किया, 'सरकार की मंशा संदिग्ध है। पहले किए गए झूठे वादों के औंधें मुंह गिरने के बाद, इस बजट के जरिए सरकार जनता को गुमराह करने के लिए बड़ी घोषणाएं करना चाहती है। यह संविधान और संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ हैं।
'70 साल की परंपरा और संसदीय प्रणाली के साथ खिलवाड़'
इस संदर्भ में कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, 'ऐसी खबरें आ रही हैं कि भाजपा नीत राजग सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी। अगर ऐसा होता है तो यह सभी संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं का उल्लंघन होगा। यह 70 साल की परंपरा और संसदीय प्रणाली के साथ खिलवाड़ होगा। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस मांग करती है कि सरकार संवैधानिक मर्यादा का पालन करे और सिर्फ लेखानुदान पेश करे। अगर वह नहीं मानती है तो संसद के भीतर और बाहर इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा’।
चुनावी बजट की संभावना
साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए सरकार का यह आखिरी बजट है। साल 2017 से रेल बजट और आम बजट को एक साथ पेश किया जाता है। मोदी सरकार ने रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग पेश करने की परंपरा को खत्म कर दिया है। इस बार का अंतरिम बजट चुनावी बजट हो सकता है। मोदी सरकार मिडिल क्लास को लुभाने के लिए इनकम टैक्स लाभ देने की घोषणा कर सकती है।
सैलरीड क्लास को मिल सकता है फायदा
सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय बचत सीमा बढ़ाने, पेंशनर्स के लिए टैक्स लाभ और हाउसिंग लोन के ब्याज पर और अधिक छूट जैसे विकल्प पर भी विचार कर रहा है। इस बार फिर से सैलरीड क्लास को राहत देने की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार कस्टम ड्यूटी में भी बदलाव पर विचार कर रही है।
साल 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यूपीए सरकार का अंतरिम बजट पेश किया था। उसी साल जुलाई में एनडीए की सरकार बनने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूरा बजट पेश किया था।
जानें सामान्य और अंतरिम बजट में क्या होता है अंतर
सामान्य बजट: सरकार पिछले साल के खर्च और आमदनी का हिसाब देती है। नए साल के खर्चों और टैक्स के जरिए कमाई का अनुमान होता है।
अंतरिम बजट: अंतरिम बजट पूरे साल के बजट की तरह ही होता है जिसमें उस वर्ष के सभी खर्चों का ब्योरा पेश किया जाता है। हालांकि चुनाव के साल में अंतरिम बजट में सीमित समय के लिए जरूरी सरकारी खर्च की अनुमति होती है और इसके बाद नई सरकार पूरा बजट पेश करती है।