उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस ने तैयार की अगले दौर की रणनीति
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने बताया कि अभी तक जो बैठकें और यात्राएं हुई हैं वह सभी सफल हुई। आजाद ने बताया कि पहले दिन में हमने सिर्फ 5 मीटिंग रखी थी, लेकिन 5 की जगह 34 मीटिंग हुई। दूसरे दिन हमने 6 मीटिंग रखी थी, लेकिन बड़ी-छोटी मिलाकर 55 मीटिंग हो गई थी औऱ तीसरे दिन भी हमारी 5-6 मीटिंग थी लेकिन 85 मीटिंग हो गई। हमारा 6-6 घंटे का दिन का कार्यक्रम था, वो 14 से लेकर 16, 18 घंटे का हो गया। रात को 12 और 1 बजे के करीब हम अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचे, जहाँ आखिरी फंक्शन था। हम उत्तर प्रदेश की जनता का आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लीडरों का स्वागत किया और सभी धर्मों और जाति के लोगों ने स्वागत किया।
आजाद ने बताया कि अब जो कार्यक्रम शुरू हो रहा है वह 21 अगस्त से 9 अक्टूबर तक दो चरणों में चलेगा। उन्होने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का कार्यक्रम जो लखनऊ में था, वो आम भीड़ नहीं थी, वो बूथ लेवल के प्रतिनिधि थे, उनका प्रतिनिधित्व था और वो दिन भर सवाल-जवाबों का दिन रहा। उन्होने कहा कि बारिस के बावजूद हजारों की संख्या में लोग अपनी जगह से नहीं हटे। उन्होने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बनारस में आयोजित रोडशो को भी सफल बताया। उन्होने कहा कि हमारा नारा यही रहेगा कि "27 साल यूपी बेहाल”।
आजाद ने कहा कि बेहाली का मतलब सिर्फ विकास से ही नहीं है, बेहाली का मतलब जुड़ा है लॉ एंड ऑर्डर से भी, भ्रष्टाचार से भी, रिश्वतखोरी से भी, गुंडागर्दी से भी, यूपी जो आज सबसे ज्यादा बेहाल है, जो उत्तर प्रदेश ना सिर्फ हिंदुस्तान में जाना जाता था बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता था, जिस उत्तर प्रदेश ने इतने प्रधानमंत्री दिए, पंडित जवाहरलाल नेहरु जी से लेकर लाल बहादुर शास्त्री तक, जिस उत्तर प्रदेश ने इतने स्वतंत्रता सेनानी दिए, सब धर्मों और जातियों के। लेकिन उसी उत्तर प्रदेश को किस तरह से इन तीनों राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के लिए, अपनी कुर्सी के लिए, किसी ने धर्म के नाम पर बांटा, किसी ने जात-पात के नाम पर बांटा और टुकड़े किए। एक गाँव को दूसरे गाँव से लड़ाया, एक पड़ोसी को दूसरे पड़ोसी से लडाया, एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाया।
आजाद ने कहा कि कांग्रेस अपनी तरफ से पूरा प्रयास करेगी, इन तमाम समुदायोँ, जातियों, धर्मों को फिर से जोड़ कर उत्तर प्रदेश को उसी जगह लाएगी जहाँ सिद्धातों के आधार पर, नीतियों के आधार पर, कार्यक्रमों के आधार पर काम किया जाएगा, ना कि धर्म, जाति के नाम पर।