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20 January 2020

CAA पर बोले नेताजी के पोते, ‘हमारे पास नंबर है इसलिए हम आतंकी राजनीति नहीं कर सकते’

File Photo

नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कई राज्‍यों में हो रहे विरोध के बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और भाजपा नेता चंद्र कुमार बोस का बयान आया है। उनका कहना है कि एक बार कोई बिल अगर एक अधिनियम के रूप में पारित हो जाता है, तो इसके बाद यह राज्य सरकारों के लिए बाध्यकारी है, यह कानूनी स्थिति है। हालांकि, एक लोकतांत्रिक देश में आप नागरिकों पर किसी भी अधिनियम को थोप नहीं सकते हैं।

सिर्फ इसलिए कि आज हमारे पास संख्या है, हम आतंकी राजनीति नहीं कर सकते

सीके बोस ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी के नेतृत्व को सुझाव दिया है कि सिर्फ थोड़े-सा संशोधन विपक्ष के पूरे अभियान पर पानी फेर सकता है। हमें विशेष रूप से यह बताने की आवश्यकता है कि यह उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है, हमें किसी धर्म का उल्लेख नहीं करना चाहिए। हमारा दृष्टिकोण अलग होना चाहिए। हमारा काम लोगों को यह समझाना है कि हम सही हैं और वे गलत हैं। आप अपमानजनक नहीं हो सकते। सिर्फ इसलिए कि आज हमारे पास संख्या है, हम आतंकी राजनीति नहीं कर सकते। हमें सीएए के लाभों के बारे में लोगों को बताना चाहिए।

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'लोगों को सीएए के फायदों के बारे में बताएं'

उन्होंने आगे कहा, 'हमारा काम लोगों को ये समझाना है कि हम सही हैं और वो गलत हैं। आप गाली गलौच नहीं कर सकते। केवल इसलिए कि आज हमारे पास अधिक संख्या है, हम आतंक की राजनीति नहीं कर सकते। चलिए हम लोगों को सीएए को फायदों को बारे में बताएं।' बता दें सीएए को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शन को एक महीने से भी अधिक समय हो चुका है।

सीएए पर क्या बोले भूपेंद्र सिंह हुड्डा

वहीं, हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सीएए पर कहा कि एक बार जब कोई कानून संसद द्वारा पारित कर दिया जाता है, तो मुझे लगता है कि संवैधानिक दृष्टिकोण यह है कि कोई भी राज्य इसे मना नहीं कर सकता है। इस कानून को मानना भी नहीं चाहिए, लेकिन इसको कानूनी तौर पर जांचा जाना चाहिए।

केंद्र से जारी हो चुका है नोटिफिकेशन

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 केंद्र सरकार ने 10 जनवरी से ही पूरे देश में लागू कर दिया है। इसे लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही 10 जनवरी 2020 से ही नागरिकता संशोधन कानून पूरे देश में लागू हो चुका है। अब शरणार्थियों को नागिरकता देने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।

इस कानून को लेकर हर जगह हो रहा विरोध

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के विरोध में दिल्‍ली, पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्‍ट्र के अलावा कई राज्‍यों में प्रदर्शन को रहा है। दिल्‍ली के शाहीन बाग में बीते एक माह से अधिक समय से धरना चल रहा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी स्थिति में कानून को वापस नहीं लिया जाएगा।

जानें क्या है यह कानून

बता दें कि नागरिकता कानून में पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के उत्‍पीड़ित अल्‍पसंख्‍यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को शामिल किया गया है। विपक्ष का आरोप है कि ये कानून धर्म के आधार पर लोगों को तोड़ने का काम कर रहा है। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल, ये कानून भारत के किसी शख्‍स की नागरिकता नहीं छीनता है। इस कानून में सिर्फ विदेशियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।

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TAGS: 'Cannot Do Terror Politics, Just Because, Have Numbers, Bengal BJP Leader, CK Bose
OUTLOOK 20 January, 2020
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