उत्तराखंड: व्यय के लिए केंद्र का अध्यादेश, कांग्रेस पहुंची हाईकोर्ट
सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि अध्यादेश का उद्देश्य वित्त वर्ष 2016-17 के एक भाग में सेवाओं के लिए उत्तराखंड राज्य की समेकित निधि से कुछ राशि निकालने की व्यवस्था करना है। अधिसूचना में कहा गया है, अध्यादेश जारी किया जाता है क्योंकि संसद सत्र में नहीं है और राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि उत्तराखंड राज्य के वित्तीय कामकाज के समय से संचालन के लिए तत्काल कदम उठाते हुए उनके लिए ऐसा करना आवश्यक है। अध्यादेश राज्य में चालू वित्त वर्ष के लिए कुछ सेवाओं पर होने वाले खर्च को पूरा करने के मकसद से 13, 642.43 करोड़ रूपये निकालने की अनुमति देता है। इस अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी का कहना है कि सरकार विधानसभा में 18 मार्च को ही विनियोग विधेयक पारित कर चुकी है और स्पीकर ने इसकी घोषणा भी कर दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे पर होने के कारण उनकी अनुपस्थिति में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को अध्यादेश जारी करने का फैसला लिया गया था। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन होने और इससे पूर्व कोई बजट पारित नहीं होने के कारण कैबिनेट ने उत्तराखंड के लिए विनियोग अध्यादेश की सिफारिश की थी ताकि सरकारी खजाने से विधिवत निकासी की जा सके। उसी बीच विस्यमकारी घटना के तहत संसद के बजट सत्र का 29 मार्च को सत्रावसान कर दिया गया ताकि सरकार अध्यादेश लागू कर सके।
उत्तराखंड मुद्दे पर विरोध को और तेज करते हुए कांग्रेस ने केंद्र की तरफ से जारी अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में गुहार लगाई है। अध्यादेश के तहत इस पहाड़ी राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान आज से खर्च के लिए धन निकासी की अनुमति होगी। पार्टी ने कहा कि राज्य में धन निकासी के लिए विधानसभा ने 18 मार्च को एक उपयुक्त विधेयक पारित कर दिया था और विधानसभा अध्यक्ष ने उसे मंजूर भी किया था। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, क्या दो बजट हो सकते हैं? एक राज्य विधानसभा ने पास किया और दूसरे को केंद्र सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से लागू किया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार विधानसभा की कार्यवाहियों में मध्यस्थ कैसे हो सकती है। केंद्र की पहल असंवैधानिक है। कांग्रेस ने केंद्र की इस पहल को भाजपा सरकार की विधायी बेईमानी करार देते हुए कहा कि सरकार ने पहले संसद का सत्रावसान किया और फिर अध्यादेश के माध्यम से अवैध काम किया। कांग्रेस ने केंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने राज्य में राष्टपति शासन लगाकर लोकतंत्र की हत्या की है।