नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास, कांग्रेस ने किया वॉकआउट
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। इससे पहले सदन में कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने विधेयक पर सवाल उठाए हैं। विधेयक के मुद्दे पर कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा, 'इस बिल से असम में एनआरसी पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा। गृहमंत्री ने यह भी कहा कि असम के लोगों को भरोसा देना चाहता हूं कि यह बिल असम विशेष नहीं है। बिल पश्चिमी हिस्से में आकर रहने वाले शरणार्थियों के लिए है।'
'हम एनआरसी को लेकर गंभीर'
बिल के विरोध में शिवसेना और असम गण परिषद जैसी पार्टियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे नेशनल सिटिजन रजिस्टर पर बिल का असर होगा। गृहमंत्री ने इस पर जवाब देते हुए कहा, 'हम एनआरसी को लेकर बहुत गंभीर हैं। एनआरसी में इस बिल की वजह से कोई भेदभाव नहीं होगा। अवैध रूप से रह रहे घुसपैठियों के खिलाफ सभी जरूरी ऐक्शन लिए जाएंगे।'
कांग्रेस ने किया वॉकआउट
बिल के विरोध में कांग्रेस के सदस्यों ने वॉकआउट किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं फिर से एक बार स्पष्ट करना चाहता हूं कि नागरिकता संशोधन विधेयक सिर्फ असम तक ही सीमित नहीं है। यह बिल पड़ोसी मुल्क से आनेवाले शरणार्थियों के कल्याण के लिए है। यह बिल उन शरणार्थियों के लिए भी है जो देश के पश्चिमी हिस्से में आकर रह रहे हैं। इनमें राजस्थान, पंजाब, दिल्ली जैसे प्रदेश शामिल हैं।
ये पार्टियां कर रही विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक बिल का विरोध सिर्फ कांग्रेस और टीएमसी ही नहीं कर रही। सीपीआई (एम), एसपी के साथ बीजेपी की दो सहयोगी पार्टियां असम गण परिषद और और शिवसेना भी हैं। टीएमसी सांसदों की तरफ से बिल के विरोध में संसद परिसर में प्रदर्शन किया गया। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि बिल धार्मिक आधार पर भेदभाव की बात करता है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। टीएमसी सांसदों ने भी विरोध में सदन से वॉकआउट किया।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक
लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया है। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।