राफेल डील पर कांग्रेस ने फिर साधा निशाना, 21 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का लगाया आरोप, पीएम से मांगा जवाब
कांग्रेस ने एक बार फिर राफेल सौदे में एक ‘बिचौलिये’ से संबंधित आरोपों को लेकर शुक्रवार को सरकार पर निशाना साधा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग की। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि इस सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है और सरकारी खजाने को 21,075 करोड़ रुपये की चपत लगी है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील दस्तावेज आखिर मिडिलमैन तक कैसे पहुंचे।
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुरजेवाला ने कहा कि 2015 में 36 राफेल की डील 5.06 बिलियन यूरो में तय की गई। इसमें एयरक्राफ्ट के साथ मिलने वाले सभी हथियार भी शामिल थे। इंडियन नेगोशिएशन टीम ने ये कीमत तय की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'प्रिय छात्रों, प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें बिना डरे या घबराए हर सवाल का जवाब देना चाहिए। आप उनसे कहिए कि मेरे 3 सवालों का जवाब भी बिना डर और घबराहट के दें।' इसके बाद उन्होंने प्रधानंत्री से तीन सवाल पूछे।
उन्होंने एक फ्रांसीसी समाचार पोर्टल की खबर का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि राफेल सौदे में एक ‘बिचौलिये’ की भूमिका थी। सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘‘एक बिचौलिया कैसे इतना शक्तिशाली हो सकता है कि वह सबसे बड़े रक्षा सौदे में मोदी सरकार के निर्णयों को प्रभावित कर दे? क्या इसकी गहन और स्वतंत्र जांच नहीं होनी चाहिए?’’
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारत सरकार के रेट तय करने के बाद दसॉ एविएशन ने 20 जनवरी 2016 को कंपनी की इंटरनल बैठक रखी। इसमें कंपनी ने 36 राफेल की कीमत 7.87 बिलियन तय कर दी। मोदी सरकार ने 23 सितंबर 2016 को दसॉ की तय की गई कीमत पर डील स्वीकार कर ली। सुरजेवाला ने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या वजह थी, जो रक्षा मंत्रालय के मना करने पर भी 21,075 करोड़ रुपए ज्यादा देकर राफेल डील की गई।
सुरजेवाला ने कहा कि 26 मार्च 2019 को इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने बिचौलिए के पास से एक सीक्रेट दस्तावेज जब्त किया था। उस पर भी कोई जांच नहीं कराई गई कि आखिर बिचौलिए तक दस्तावेज कैसे पहुंचे। उन्होंने पूछा कि डील में नो रिश्वत, नो गिफ्ट, नो इंफ्लूएंस, नो कमीशन और नो मिडिलमैन जैसी शर्तें क्यों नहीं रखी गईं।