126 राफेल विमानों की जगह सिर्फ 36 की खरीददारी क्योंः चिदंबरम
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर राफेल डील को लेकर फिर से निशाना साधा है। उन्होंने मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि जब वायुसेना को 126 लड़ाकू विमानों की जरूरत थी तो मोदी सरकार ने केवल 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का समझौता क्यों किया? उन्होंने इस सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग दोहराई है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर मोदी सरकार ये सोच रही है कि वो राफेल घोटाले को दबाने में सफल रही है, तो वो गलत सोच रही है। आज इसमें एक नया आयाम जुड़ गया है। 10 अप्रैल, 2015 को जब पीएम मोदी ने यूपीए वाले सौदे को रद्द किया और नये सौदे की घोषणा की, तो एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया। सरकार ने वायुसेना की 126 विमानों की जरूरत को खारिज करके केवल 36 विमान खरीदने का फैसला क्यों किया? इसका जवाब नहीं दिया गया।
चिदंबरम ने एक अखबार की हवाला देते हुए कहा कि 2007 में यूपीए द्वारा तय कीमत 79.3 मिलियन यूरो थी। 2011 में यह 100.85 मिलियन यूरो हो गई। 2016 में मोदी सरकार ने 9 प्रतिशत की छूट हासिल की लेकिन वो छूट 126 विमानों के लिए नहीं, 36 विमानों के लिए थी। उन्होंने कहा कि अगर 126 हवाई जहाज खरीदे जाते तो दॉसो को 10 साल और 6 महीने में 1300 मिलियन यानि 1.3 बिलियन यूरो मिलते। 36 हवाई जहाजों के साथ वो सिर्फ 36 महीनों में ही इसे वसूल लेगी।
दॉसो को हुआ मुनाफा
कांग्रेस नेता ने कहा कि दॉसो को दो तरह से फायदा हुआ, प्रति विमान मूल्य में वृद्धि और मुद्रा का शुद्ध वर्तमान मूल्य। यह एनडीए सरकार द्वारा दॉसो को तोहफा है। दॉसो को चारों तरफ से भारी मुनाफा हो रहा है। सरकार ने दो तरीकों से देश को नुकसान पहुंचाया,- वायु सेना द्वारा मांगे गये 126 में से 90 हवाई जहाजों घटाकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया और लोगों की गाढ़ी कमाई को लुटाया।
खतरनाक है अर्थव्यवस्था की स्थिति
चिदंबरम ने कहा कि राफेल मामले में संबंधित बातचीत के दल ने 4 -3 से फैसला किया। क्या किसी रक्षा सौदे में कभी ऐसा हुआ? ऐसा क्यों हुआ कि इस सौदे से जुड़े हर फैसले सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए 4-3 से किये गए? उन्होंने कहा कि इस मामले की गहन जांच जेपीसी से होनी चाहिए। पूर्व मंत्री ने कहा कि ऑफसेट साझेदार के चयन पर सवालिया निशान है। एचएएल को दरकिनार किए जाने को लेकर सवाल हैं।
चिदंबरम ने कहा कि हम इस सरकार से कुछ भी अच्छा किए जाने की उम्मीद नहीं करते हैं। यह चुनाव की उलटी गिनती है। सरकार अगले 60 दिनों में जो भी करेगी वह अर्थव्यवस्था की स्थिति को नहीं बदल सकती है। अर्थव्यवस्था की स्थिति खतरनाक है, सभी इंडिकेटर चिंताजनक हैं।