उत्तरप्रदेश चुनाव : मोदी के गढ़ वाराणसी में सोनिया ने रोड शो कर फूंका बिगुल
सर्किट हाउस में सोनिया गांधी ने बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मार्च की शुरूआत की और इस पवित्र शहर की गलियों और संकरे मार्गों से सफर तय किया।
सोनिया शुरू में कार में सफर कर रही थीं लेकिन बाद में एक वाहन में सवार हुईं, जिसकी छत खुली हुई थी और उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाती हुई जनता का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। वह मुस्लिम महिलाओं के समूह सहित समर्थकों का अभिवादन स्वीकार करने के लिए कई बार वाहन से बाहर निकलीं। रोड शो कई इलाके से गुजरा और सोनिया और उनके काफिले पर आसपास के भवनों से गुलाब के फूल की वर्षा की गई।
कई मिनी ट्रक पर पोस्टर पर नारे लगे थे 27 साल, यूपी बेहाल। सैकड़ों कार्यकर्ताओं के हाथों में यही नारे लिखी हुई तख्तियां थीं। पार्टी के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित, कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद, राज्य पार्टी के प्रमुख राज बब्बर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी तथा संजय सिंह भी सोनिया गांधी के साथ थे। इससे पहले मोदी के संसदीय क्षेत्र में दिन भर के कार्यक्रम के लिए यहां सोनिया पहुंचीं और हवाई अड्डे से शहर के मध्य तक सैकड़ों मोटरसाकिल सवार कार्यकर्ताओं ने पार्टी का झंडा लहराकर उनका स्वागत किया।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सोनिया की यह पहली वाराणसी यात्राा है। सोनिया शाम को काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा कर वहां प्रार्थना करेंगी। कांग्रेस ने वाराणसी में विकास की कमी को उजागर करने के लिए दर्द-ए- बनारस अभियान की शुरूआत की है जहां से मोदी सांसद हैं। कांग्रेस 27 वर्षों से उत्तरप्रदेश की सत्ता से बाहर है और वह 27 साल, यूपी बेहाल के नारे के साथ दर्शा रही है कि राज्य की स्थिति बद से बदतर हो गई है। पूर्वी उत्तरप्रदेश में वाराणसी मुख्य स्थान है। राज्य के 403 विधानसभा क्षेत्रों में से 160 पूर्वी उत्तरप्रदेश में पड़ते हैं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने केवल दो सीटें अमेठी और रायबरेली पर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा और इसकी सहयोगी अपना दल को 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव का असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी होगा।
विधानसभा चुनावों में सहायता के लिए यूपीसीसी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का सहयोग लिया है। किशोर ने लोकसभा चुनावों में मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी और फिर बिहार विधानसभा चुनावों में उन्होंने नीतीश कुमार के लिए रणनीति बनाई। भाषा एजेंसी