कांग्रेस ने उठाया सवाल, सरकार से पूछा- क्यों वायुसेना के ‘पुराने’ एएन-32 बेड़े को नहीं बदला?
कांग्रेस ने असम के जोरहाट से उड़ान भरने के बाद अरुणाचल प्रदेश में लापता हुए एएन-32 विमान पर सवार भारतीय वायु सेना के कर्मियों की सुरक्षा और कुशल क्षेम पर चिंता जताई और सरकार से सवाल किया है। कांग्रेस ने सवाल किया कि उसने पुराने एएन-32 बेडे को बदलने के लिए संसाधनों को आवंटित क्यों नहीं किया।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से सरकार से सवाल करते हुए कहा कि रक्षा मंत्री को जवाब देना चाहिए कि जब भारतीय वायु सेना ने अंडमान और निकोबार द्वीप के रास्ते में एएन-32 विमान को खो दिया था तो इसके बाद कदम क्यों नहीं उठाए गए। इस विमान का पता नहीं चला था।
‘एएन-32 के पास एसओएस सिग्नल यूनिट थी जो पुरानी हो गई है’
सुरजेवाला ने कहा, ‘लापता विमान एएन-32 के क्रू सदस्यों और भारतीय वायु सेना के कर्मियों की सुरक्षा तथा कुशल क्षेम के लिए प्रार्थना। यह जानकार दुख हुआ कि एएन-32 के पास एसओएस सिग्नल यूनिट थी जो पुरानी हो गई है।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को बताना चाहिए कि भारत और यूक्रेन के 2009 के समझौते के बावजूद एएन-32 का आधुनिकीकरण क्यों पूरा नहीं किया गया।’
सरकार और रक्षा मंत्रालय को यह भी जवाब देना चाहिए
उन्होंने कहा कि सरकार और रक्षा मंत्रालय को यह भी जवाब देना चाहिए, ‘आखिर इतने खतरनाक और अनिश्चितता भरे मार्ग पर एएन-32 जैसे विमान को क्यों भेजा गया, जब हमारे पास बेहतर विकल्प मौजूद थे। इसके अलावा सरकार ने एएन-32 विमानों के बेड़े को बदलने के लिए आज तक रक्षा बजट में कोई प्रावधान क्यों नहीं किया?’
विमान को ढूंढने के लिए जारी है व्यापक तलाश अभियान
अरुणाचल प्रदेश के मेनचुका में घने जंगल में एएन-32 के लापता होने के बाद व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है। तलाश अभियान में विमानों, हेलीकॉप्टरों और जवानों का बड़ा दल शामिल हैं और उपग्रह से तस्वीरें लेने का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
जानिए, एएन-32 विमान के बारे में
एएन-32 दो इंजन वाला टर्बोप्रोप मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है। ये एयरक्राफ्ट रूसी विमान एएन-26 का आधुनिक वर्जन है। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। इस एयरक्राफ्ट को इंदिरा गांधी की सरकार के समय रूस और भारत के बीच दोस्ताना संबंध और भारतीय वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए मंगाया गया था। इसका अधिकतम इस्तेमाल कम और मध्यम हवाई दूरी के लिए सैन्य साजो-सामान पहुचांने, आपदा के समय घायलों को अस्पताल लाने और ले जाने, जावनों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में किया जाता है।