राहुल गांधी का आंध्र प्रदेश में वादा- सत्ता में आते ही देंगे विशेष राज्य का दर्जा
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित किया। राहुल ने इस दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। साथ ही अपने संबोधन के दौरान राहुल ने राज्य के लोगों से वादा किया कि दिल्ली की सत्ता में आते ही उनकी सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी।बता दें कि टीडीपी अध्यक्ष और राज्य के सीएम चंद्रबाबू नायडू इसी मुद्दे पर एनडीए से अलग हो गए थे। कांग्रेस अध्यक्ष ने इस दौरान गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये मुहैया कराने का अपना वादा दोहराया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'जैसे हमने मनरेगा, वाइट रेवलूशन और ग्रीन रेवलूशन को सफल बनाया था उसी तरह से मैं और कांग्रेस पार्टी न्याय स्कीम (न्यूनतम आय योजना) लेकर आएगी।'
राहुल गांधी ने प्रत्यक्ष तौर पर तेलुगू देशम पार्टी (पार्टी) पर हमला नहीं किया। कांग्रेस पार्टी अगले महीने होने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनावों में अकेले ही चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश की पार्टियां बीजेपी सरकार पर राज्य को विशेष दर्जा देने के लिए आक्रामक नहीं रही। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकारों ने 14 करोड़ से ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का कार्य किया और मनरेगा जैसी योजनाओं से लाखों लोगों को रोजगार दिया।
‘हमने देश को कई योजनाएं दीं’
उन्होंने कहा, “हमने देश को खाद्य सुरक्षा का अधिकार दिया, स्कूलों में हमारे बच्चों को खाना दिया, हमने किसानों, जनजातियों व दलितों की जमीनों की रक्षा के लिए नए कानून बनाए।” उन्होंने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी ने सभी चीजों को खत्म कर दिया।
‘कांग्रेस की लड़ाई गरीबी के खिलाफ’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “उन्होंने नोटबंदी की, जिससे छोटे व मध्यम व्यापारियों, गरीबों व किसानों की मुश्किलें बढ़ी। इसके बाद वह जीएसटी लाए, जिससे छोटे व मध्यम दुकानदारों के लिए जटिलताएं पैदा हुईं।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस गरीबी के खिलाफ लड़ाई की घोषणा करती है।
कांग्रेस के घोषणा पत्र में न्यूनतम आय योजना (न्याय) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कांग्रेस गरीबी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करेगी। हम भारत के लोगों को 'न्याय' देंगे। यह गरीबी के खिलाफ हमारा गैर-हिंसक हथियार है।” उन्होंने कहा कि 12,000 से कम की मासिक कमाई वाले 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों की मदद की जाएगी और हर साल उनके बैंक खातों में 72,000 रुपये दिए जाएंगे।