Advertisement
20 February 2018

माकपा ने लगाया त्रिपुरा में धांधली का आरोप, मुख्य चुनाव आयुक्त से मिले नीलोत्पल बसु

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो के सदस्य नीलोत्पल बसु ने आज मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत से मुलाकात कर त्रिपुरा में 18 फरवरी को हुए विधान सभा चुनाव में धांधली की शिकायत की। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर इवीएम में गड़बड़ी की गई, माकपा कार्यकर्ताओं को धमकी दी गई, दो जगहों पर लेफ्ट फ्रंट के प्रत्याशियों पर हमले किए गए और भाजपा के समर्थन में बाहरी लोगों ने मतदाताओं को चुनाव वाले दिन तक लुभाने का प्रयास किया। बसु ने रावत को त्रिपुरा राज्य कमेटी के सचिव बिजान धर का पत्र भी सौंपा। उऩ्होंने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने उऩकी चिंताओं पर गंभीरता से गौर करने का आश्वासन दिया।

बिजन धर ने अपनी शिकायत में कहा कि 59 विधानसभा क्षेत्रों के 3174 बूथों में से 519 पर इवीएम (कंट्रोल यूनिट,बैलट यूनिट और वीवीपैट का पूरा उपकरण) खराब पाए गए। यह 16.35 फीसदी है जो काफी असामान्य है। कुछ बूथ पर पहले इनके मरम्मत की कोशिश की गई लेकिन इसके बाद भी इवीएम बार-बार खराब होते रहे। इसके बाद बड़ी संख्या में मशीनों को बदला गया। लेकिन कई बूथ पर बदली गई मशीनें भी ठीक से नहीं चलीं।

बूथ पर सुबह से ही लोग आने लगे पर इवीएम की खराबी की वजह से वोटिंग सही समय पर शुरू नहीं हो सकी। कई जगहों पर तो यह तीन से चार घंटे की देरी से शुरू हुई। इसकी वजह से लंबी लाइन लग गई और देरी होने की वजह से बूढ़े और बीमार लोग वापस लौट गए। हालांकि बाद में कुछ लोग देर शाम वोट देने आए। इवीएम की गड़बड़ी की वजह से कई बूथ पर मध्य रात्रि तक वोटिंग जारी रही।

Advertisement

वोटिग से एक दिन पूर्व राज्य चुनाव अधिकारी के अनुसार इसीएल के कुछ इंजीनियरों ने पानीसागर विधानसभा क्षेत्र के सभी इवीएम के बैलट यूनिट, धर्मनगर के 12 बैलट यूनिट और जुबराजनगर के तीन बैलट यूनिट खोल दिए थे। यह किसी भी राजनैतिक दल के प्रतिनिधि की गैरमौजूदगी में हुआ। ऐसा होने से रहस्य पैदा हो जाता है क्योंकि रिटर्निंग अफसर के कार्यालय में उम्मीदवारों के नाम सेट कर देने के बाद किसी को भी मशीन खोलने का अधिकार नहीं होता है। यह अभी भी रहस्य बना हुआ है कि इंजीनियरों ने मशीन के साथ क्या किया। 18 फरवरी को जहां चुनाव होने थे वहां मशीनों को इस तरह से खोलने की कोई जरूरत नहीं थी। माकपा प्रत्याशी और उनके चुनाव एजेट ने रिटर्निंग अफसर के पास इसकी शिकायत दर्ज कराई। जब इस बार में माकपा की राज्य समिति की ओर से मुख्य चुनाव अधिकारी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इंजीनियरों की कमी के कारण उन्होंने चुनाव की पूर्व संध्या पर इन मशीनों की चेकिंग की गई। लेकिन उऩ्होंने इस बात का स्पष्टीकरण नहीं दिया कि धर्मनगर में ही इवीएम का चेकअप क्यों किया गया।

त्रिपुरा माकपा के सचिव ने कहा कि इतना ही नहीं चुनाव से पूर्व भी माकपा ने राज्य के चुनाव अधिकारियों से ताकारजाला (एसटी) विधानसभा क्षेत्र में गड़बड़ियों की आशंका जताई थी। यह एक अशांत क्षेत्र है और यहां माकपा प्रत्याशी को प्रचार के दौरान बाधा पहुंचाई गई। हमारे समर्थकों को आइपीएफटी (एनसी) के शरारती तत्वों ने चुनाव वाले दिन नहीं निकलने की धमकी दी गई। यह संगठन राज्य के बंटवारे की मांग करता है और भाजपा का चुनावी साझीदार है। हमने इसकी शिकायत विशेष पर्यवेक्षक आरके पंचनंदा से भी 17 फरवरी को की। हमारी आशंका चुनाव के दिन सही साबित हुई। हमारे पोलिंग एजेंट को बूथ के अंदर जाने से रोका गया। बड़ी संख्या में हमारे वोटर भी रोके गए। दो बूथ पर हमारी पार्टी का चुनाव चिह्न काफी देर तक ढंक कर रखा गया। एक बूथ पर हमारे पोलिंग एजेंट को जबरदस्ती बाहर कर दिया गया। हमारी मांग है कि तीन बूथ रतनपुर हाइ स्कूल (उत्तरांगश), रतनपुर हाइ स्कूल (दक्षिणांगश) और कुपिलांग जेबी स्कूल (पश्चिमांगना) पुनर्मतदान कराया जाए।

बिजान धर ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के निर्देश के बाद भी असम, पश्चिम बंगाल और कुछ हिंदी भाषी राज्यों के बाहरी लोग चुनाव वाले दिन त्रिपुरा में रहे। इनमें से अधिकांश होटल, गेस्ट हाउस के अलावा भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं के घरों में ठहरे। 17 फरवरी की रात में असम के मंत्री पल्लव लोचन दास सुदूर इलाके के गांव गंदाछरा में भरे हुए सूटकेश के साथ एक घर में छुपे हुए मिले। पुलिस ने कोई कानूनी कार्रवाई करने या सूटकेश की तलाशी लेने के उन्हें अपने राज्य में जाने दिया। चुनाव वाले दिन असम के मंत्री और भाजपा नेता हेमंत बिस्व शर्मा बारजाला (एससी) विधानसभा क्षेत्र में अपनी पार्टी के बूथ ऑफिस में मिले। अजय शर्मा नाम का असम भाजपा का विस्तारक राजनगर (एससी) भाजपा कार्यकर्ता रंजीत सरकार के घर से गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा 17 और 18 फरवरी को भाजपा ने लेफ्ट फ्रंट और लेफ्ट फ्रंट सरकार के खिलाफ झूठे आरोपों वाले विज्ञापन प्रसारित किए। एमसीएमसी द्वारा प्रमाणित एक विज्ञापन में कहा गया था कि भाजपा अपने कैमरों से 3,000 बूथों पर निगाह रखेगी। लोक प्रतिनिधत्व कानून के तहत इस तरह की अनुमति नहीं है पर एमसीएमसी ने लोगों को गुमराह करने के लिए इस तरह के विज्ञापनों की अनुमति दी।

बिजान ने कहा कि राज्य में पहली बार वेब कास्टिंग सिस्टम लागू किया गया था। इससे सभी बूथ की कार्यवाही पर नजर रखी जा रही थी। इसके नियंत्रण का ठेका गुजरात की कंपनी को दिया गया था। इस कंपनी ने भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य सोमेन पाल को इसका उपठेका दे दिया था। इसके बाद सोमेन पाल ने अपने कार्यकर्ताओं को वेबकास्टिंग कैमरों से नजर रखने पर लगा दिया। ऐसा करना पूरी तरह से गलत था।

चुनाव वाले दिन शाम में गोलाघाटी (एसटी) क्षेत्र से माकपा प्रत्याशी पुलि बर्धन पर आइपीएफटी (एनसी) के कार्यकर्ताओं ने हमला किया जिसमें उन्हें काफी चोटें आईं। पारा मिलिट्री बलों ने भी बोरदावली से फारवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी विश्वनाथ साहा पर हमला किया। ये दोनों अभी जीबी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Cpi(m), Tripura, rigging, election, evm, bjp, nilotpal
OUTLOOK 20 February, 2018
Advertisement