1984 के दंगा मामले में दिल्ली की अदालत ने टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने पर सुरक्षित रखा फैसला
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के बारे में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दंगे के इस मामले में तीन लोग मारे गए थे।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) मामलों के विशेष न्यायाधीश राकेश सियाल ने केंद्रीय जांच एजेंसी और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत के दो अगस्त को फैसला सुनाने की संभावना है।
सीबीआई ने एक गवाह के हवाले से आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि टाइटलर एक नवंबर 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक सफेद एम्बेसडर कार से बाहर निकले और भीड़ को सिखों की हत्या करने के लिए उकसाया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री टाइटलर पर आरोप है कि उन्होंने भीड़ से कहा था, “सिखों को मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला है।” इस घटना के बाद तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।
पिछले वर्ष अगस्त में एक सत्र अदालत ने इस मामले में टाइटलर को अग्रिम जमानत दे दी थी।
अदालत ने टाइटलर पर कुछ शर्तें भी लगाई थीं, जिनमें यह शर्तें भी थीं कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ेंगे।
केंद्रीय एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा), 109 (अपराध के लिए उकसाना) और 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं।