धनंजय मुंडे ने छोड़ा मंत्री पद, सीएम फडणवीस को सौंपा इस्तीफा; इस वजह से लेना पड़ा फैसला
सरपंच संतोष देशमुख की हत्या को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे राकांपा नेता धनंजय मुंडे ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने और चिकित्सा कारणों से महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है।
एक्स पर एक पोस्ट में मुंडे ने यह भी कहा कि बीड जिले के मासाजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की जघन्य हत्या से संबंधित तस्वीरें देखकर उन्हें गहरा दुख हुआ है।
देशमुख को पिछले वर्ष 9 दिसंबर को कथित तौर पर जिले में एक ऊर्जा कंपनी को निशाना बनाकर की जा रही जबरन वसूली की कोशिश को रोकने का प्रयास करने पर अपहरण कर लिया गया, प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।
देशमुख हत्या मामले और दो संबंधित मामलों में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र में मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड को आरोपी नंबर एक बनाया गया है।
मुंडे के इस्तीफे के बाद विपक्ष ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की जोरदार मांग की।
फडणवीस ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को उपमुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार तथा मुंडे सहित राकांपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ देर रात बैठक की।
देशमुख की हत्या से संबंधित भयावह तस्वीरें और अदालती आरोपपत्र के विवरण सामने आने के बाद मुंडे के इस्तीफे की विपक्ष की मांग तेज हो गई, जिसमें हत्या से पहले की गई क्रूरता का खुलासा हुआ।
मुंडे ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, "पहले दिन से ही मेरी यह दृढ़ मांग रही है कि संतोष देशमुख की नृशंस हत्या के आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। कल सामने आई तस्वीरें देखकर मुझे बहुत दुख हुआ।"
उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है और अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है।
उन्होंने कहा, "अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर और यह देखते हुए कि पिछले कुछ दिनों से मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है, डॉक्टर ने मुझे अगले कुछ दिनों तक उपचार कराने की सलाह दी है। इसलिए, चिकित्सा कारणों से भी, मैंने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा माननीय मुख्यमंत्री को सौंप दिया है।"
सीआईडी ने 27 फरवरी को देशमुख की हत्या और दो संबंधित मामलों में बीड जिले की एक अदालत में 1,200 से अधिक पृष्ठों का आरोपपत्र दायर किया था।
बीड के केज पुलिस स्टेशन में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं - सरपंच की हत्या, अवाडा कंपनी से पैसे ऐंठने की कोशिश और फर्म के सुरक्षा गार्ड पर हमला। पुलिस ने इन मामलों में आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत सख्त कार्रवाई की है।
अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन पर मकोका के तहत मामला दर्ज किया गया है। एक आरोपी अभी भी फरार है।