मोदी की मंत्रियों को सीख, विपक्ष के हमलों से घबराएं नहीं
करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से सरकार के कामकाज के बारे में लोगों तक संदेश पहुंचाने और जमीन स्तर पर बेहतर संपर्क साधने को कहा है। इस अभियान के तहत मोदी सरकार के मंत्री जनवरी से पूरे देश में जाकर संसद में कामकाज रोकने के विपक्ष के तौर-तरीकों के बारे में लोगों को बताएंगे जिनकी वजह से कई विधेयक अटके हुए हैं। वे लोगों को यह भी बताएंगे कि सरकार कौन-कौन से काम कर रही है और क्या उपलब्धियां की हैं।
इसकी विस्तृत योजना बाद में तैयार की जाएगी लेकिन जनवरी के दूसरे सप्ताह से मंत्रियों को संसदीय क्षेत्रों में दौरे शुरू करने और निर्धारित क्षेत्राेें में कम से कम 30 मिनट बिताने को कहा गया है। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों से उनके विभागों के कामकाज की समय-समय पर समीक्षा करने को कहा और कामकाज का प्रदर्शन बढ़ाने एवं सरकार की छवि सुधाने के लिए नये नये विचारों को लाने की जरूरत पर जोर दिया।
मोदी की राय थी कि केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए बजट तैयार करने में लोगों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए और एेसा नहीं हो कि वित्तीय वर्ष खत्म होने के कगार पर आने पर धन खर्च करने को लेकर गहमागहमी की स्थिति बने। यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक मंत्री दो संसदीय क्षेत्राें का दौरा करेंगे और लोगों को बताएंगे कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से सरकार ने आम आदमी के हित में क्या फैसले लिये हैं।
विपक्ष के हथकंडों से परेशान न हों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वो विपक्ष के हथकंडों से परेशान न हों। प्रधानमंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब आम आदमी पार्टी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं जबकि केंद्र सरकार पर बदले की राजनीति करने के आरोप लग रहे हैं। इन्हीें मुद्दों को लेकर विपक्ष ने संसद का शीतकालीन सत्र नहीं चलने दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों से कहा कि सरकार जो काम कर रही है वो उसे लेकर उत्साहित रहें और विपक्ष के हमलों से घबराने की कोई जरूरत नहीं है जो झूठ के आधार पर मुहिम चला रहा है। बैठक में आम राय थी कि 23 दिसंबर को शीतकालीन सत्र समाप्त होने वाला है और अब समय आ गया है कि सरकार संसद के बाहर विपक्ष के बारे में लोगों को सच्चाई बताने पर ध्यान केंद्रित करे।
जेटली रहे अनुपस्थित
पीएम आवास पर हुई इस बैठक में लोजपा के रामविलास पासवान और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगी दलों के नेताओं समेत राजग के सभी मंत्री उपस्थित थे। राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू और मनोहर पर्रिकर जैसे वरिष्ठ भाजपाई मंत्रियों ने भी बैठक में शिरकत की। हालांकि वित्त अरुण जेटली बैठक में मौजूद नहीं थे जिन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
- एजेंसी इनपुट