सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर हमला, कहा- छह सालों में 90 लाख लोगों की चली गईं नौकरियां
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि जीडीपी की वृद्धि पहली तिमाही में केवल पांच प्रतिशत है। बेरोजगारी का 8.5 फीसदी स्तर परेशान करने वाला है। मोदी सरकार के नोटबंदी, जीएसटी और आर्थिक फैसलों के कारण पिछले छह सालों में 90 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने शनिवार को सभी महासचिवों के अलावा राज्यों के प्रभारी और महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई समेत सभी फ्रंटल संगठनों के साथ बैठक की। कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में 5 से 15 नवंबर के बीच आंदोलन की घोषणा की है जिसके तहत यह बैठक बुलाई गई थी। इसमें मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा गया।
'सुर्खियों में व्यस्त हैं पीएम मोदी'
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'एक नागरिक और जिम्मेदार विपक्ष के रूप में मुझे भारतीय अर्थव्यवस्था को देखकर दुख होता है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि सरकार पूरी तरह से इनकार कर रही है। गंभीर मंदी को स्वीकार करने और व्यापक समाधान की तलाशने के बजाय, प्रधानमंत्री मोदी बहुत सुर्खियों में बने रहने और आयोजनों के प्रबंधन में व्यस्त हैं।' सोनिया गांधी ने कहा, 'आर्थिक संकट दिन पर दिन गंभीर होता जा रहा है। पहली तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि केवल 5 प्रतिशत रही। ये केवल पिछले 6 सालों का ही न्यूनतम स्तर नहीं है, बल्कि यह गहरे संकट को दर्शाता है। यह कमजोर मांग, कम खपत, कोई निवेश नहीं होना दर्शाता है, जिसके चलते नौकरियां नहीं हैं।'
उन्होंने कहा, 'मुझे महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सरकार के रवैयै और मुद्दों का भी उल्लेख करना चाहिए। सरकार ने हाल के विधानसभा चुनावों से पहले सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर के दाम नहीं बढ़ने का ढोंग किया लेकिन अब इसमें 77 रुपये यानी दस फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।'
'दोषपूर्ण नीतियों से निर्यात पर भी असर'
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था के किसी भी उचित मूल्यांकन को हमारे किसानों की दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में मुश्किल से 2 प्रतिशत की विकास दर के साथ लगभग तबाह हो गई। उनसे वादा किया गया था कि उनकी आय कम अवधि में दोगुनी हो जाएगी, लेकिन मजदूरी में गिरावट से जूझने के लिए छोड़ दिया गया जबकि कीमतों में वृद्धि हुई है। इससे पता चलता है कि क्यों ग्रामीण भारत में एफएमसीजी माल की बिक्री में हाल ही में 7 साल की गिरावट आई है।'
उन्होंने कहा, 'भारत की आर्थिक स्थिति घरेलू मोर्चे तक सीमित नहीं है। असंगत और दोषपूर्ण नीतियों ने निर्यात को ऐसे समय में कम हुआ है जब भारत वैश्विक व्यापार युद्धों का एक बड़ा लाभार्थी हो सकता था।'
'मंदी की मार से कोई क्षेत्र अछूता नहीं'
सोनिया गांधी ने कहा, 'जैसे कि सरकार के आर्थिक निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को ही पर्याप्त नुकसान नहीं पहुंचाया है, अब 16 एशियाई देशों के क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (आरसीईपी) पर हस्ताक्षर करके झटका मिलने की तैयारी है। अब यह हमारे किसानों, दुकानदारों, छोटे और मध्यम उद्यमों के लोगों के लिए परेशानी खड़ा करेगा। हम उत्पादों का डम्पिंग ग्राउंड बनने के लिए तैयार नहीं हैं, जिनमें विदेशों से कृषि उपज भी शामिल है।'
उन्होंने कहा, 'संस्थानों के निरंतर कमजोर पड़ने, आंकड़ों को रोकना और आँकड़ों के साथ छेड़छाड़ करना, इन सभी के कारण भारत की आर्थिक विश्वसनीयता घटी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आर्थिक विशेषज्ञ जो इसे इंगित करते हैं, उन्हें देश विरोधी करार दिया जाता है। अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र मंदी की मार से अछूता नहीं रहा है, ऑटोमोबाइल, बैंक, निर्माण, कृषि-सभी पर असर पड़ा है। सभी आर्थिक संकेत एक मंदी की ओर इशारा करते हैं जिसकी संभावना लंबे समय तक और आने वाले दिनों में और अधिक हो सकती है।'
'जासूसी असंवैधानिक ही नहीं, शर्मनाक भी'
कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर व्हाट्सएप के जरिए जासूसी करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि इजराइली पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए मोदी सरकार ने कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनेताओं की जासूसी करने की कोशिश की। ये गतिविधियां केवल अवैध और असंवैधानिक ही नहीं बल्कि शर्मनाक भी हैं। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का दायित्व है कि इन जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करे और लोगों में इस बारे में जागरूकता पैदा करे।