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13 November 2019

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सरकार गठन की कोशिशें जारी, हुई ठाकरे-अहमद की बैठक

महाराष्ट्र में 24 को अक्टूबर को आए चुनाव नतीजों के 20 दिन बीत बाद भी कोई दल या गठबंधन सरकार गठन के लिए जरूरी नंबर नहीं जुटा सका। राज्य में किसी की सरकार न बनती देख राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए केंद्र को सिफारिश पत्र भेज दिया। राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ ही राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। फिर भी अभी सूबे में सरकार गठन की कोशिशें जारी है। सूत्रों के मुताबिक मुंबई में कल रात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के बीच बैठक हुई। वहीं एनसीपी-कांग्रेस के बीच भी चर्चा जारी है। अब सरकार गठन को लेकर सबकी निगाहें कांग्रेस के फेसले पर टिकी है।

बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के तीन प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाया। नतीजतन राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन के लिए सिफारिश करनी पड़ी। हालांकि इसे लेकर राजनीतिक पार्टियों की ओर से नाइंसाफी के आरोप भी लगाए जा रहे हैं। मगर राज्य में सरकार गठन की संभावना अब भी बरकरार है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति शासन कभी भी हटाया जा सकता है और विधानसभा अपनी मूल स्थिति में लौट सकती है। यानी 1 महीने या 2 महीने बाद, जब भी कभी सरकार बनने की स्थिति बने, तो राष्ट्रपति शासन हटाया जा सकता है।

प्रदेश में शिवसेना के नेतृत्व में सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर मंगलवार को विचार मंथन का काफी लंबा दौर चला और पार्टी की शीर्ष निर्णायक इकाई कांग्रेस कार्य समिति की भी बैठक हुई। लेकिन इसके बावजूद पार्टी में इस मुद्दे पर असमंजस की स्थिति कायम रही। कई घंटों के विचार मंथन के बाद पार्टी ने तय किया कि इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ और विचार विमर्श किया जाएगा। साथ ही कांग्रेस ने सरकार में शामिल होने के अपने विकल्प खुले रखे हैं।

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राष्ट्रपति शासन लगाना लोकतंत्र का मजाक: एनसीपी-कांग्रेस

राष्ट्रपति शासन लागू होने पर एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लोकतंत्र का मजाक उड़ाना है। सरकार गठन पर दोनों पार्टियों ने कहा कि सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होने के बाद हम इस पर आगे बात करेंगे। हमारे बीच स्थितियां स्पष्ट होने के बाद शिवसेना को समर्थन देने पर बात की जाएगी और उससे भी स्थितियों को स्पष्ट किया जाएगा। इसके तुरंत बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि हमारी एनसीपी से बातचीत जारी है। हम अभी भी सरकार बनाने की स्थिति में हैं।

न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर स्पष्टीकरण जरूरी: कांग्रेस

पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि कल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा का शिवसेना की तरफ से पहली बार आधिकारिक तौर पर फोन किया गया था लेकिन यह गठबंधन के दूसरे दल से बात किए बिना तय नहीं किया जा सकता था। पहले हमारी बात हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएं। तब हम शिवसेना से भी बात कर लेंगे। एनसीपी से बात के बाद शिवसेना से बातचीत की कोशिश जल्द होगी। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मुद्दों पर स्पष्टीकरण जरूरी है।

शिवसेना ने 11 नवंबर को आधिकारिक तौर पर संपर्क किया: एनसीपी

एनसीपी-कांग्रेस की कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि हमें कोई जल्दी नहीं है। पहले हम गठबंधन के दलों के बीच सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करेंगे और इसके बाद शिवसेना से भी बातचीत की जाएगी। उनसे भी सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी और उसके बाद ही सरकार बनाने के बारे में आगे कोई फैसला लिया जाएगा। शिवसेना ने पहली बार कांग्रेस और राकांपा से पहली बार 11 नवंबर से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया था। अहम फैसला लेने से पहले जरूरी था कि सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण होना चाहिए। जिस तरह से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई, उसकी हम आलोचना करते हैं। ये मनमाना तरीका है और इसकी हम निंदा करते हैं। यह लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश।

अब अदालत की चौखट पर शिवसेना

शिवसेना ने सरकार बनाने के लिये जरूरी समर्थन पत्र सौंपने के वास्ते तीन दिन का वक्त नहीं देने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। शिवसेना की ओर से पेश हो रहे वकीलों ने बताया कि उन्होंने इस मामले पर मंगलवार को ही अविलंब सुनवाई किए जाने के संबंध में रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें फिलहाल इस पर कोई जवाब नहीं मिला है।

शिवसेना ने शीर्ष अदालत से सदन में बहुमत साबित करने का मौका नहीं देने के राज्यपाल के सोमवार के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। शिवसेना ने इस निर्णय को असंवैधानिक, अनुचित और दुर्भावनापूर्ण करार दिया।

अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस के जरिये दायर याचिका में कहा गया है, “राज्यपाल ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के वास्ते तीन दिन का भी समय देने से इनकार कर दिया।”  याचिका में, शिवसेना ने तर्क दिया है कि राज्यपाल का निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया, “यह स्पष्ट तौर पर शक्ति का मनमाना, अतार्किक एवं दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है ताकि शिवसेना को सदन में बहुमत साबित करने का निष्पक्ष एवं तर्कसंगत अवसर नहीं मिल सके।”

उद्धव ठाकरे और अहमद पटेल के बीच हुई बैठक

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TAGS: government, imposition, President's rule in, Maharashtra, Congress
OUTLOOK 13 November, 2019
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