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16 April 2019

मुझ पर प्रतिबंध का फैसला साजिश और लोकतंत्र की हत्या: मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा उन पर लगाये गये 48 घंटे के प्रतिबंध को दबाव में लिया गया फैसला करार देते हुए कहा कि यह एक साजिश और लोकतंत्र की हत्या है। मायावती पर किसी भी चुनावी गतिविधि में शामिल होने पर 48 घंटे के प्रतिबंध की मियाद मंगलवार सुबह छह बजे से शुरू हो गई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सोमवार देर रात प्रेस कांफ्रेंस कर मायावती ने कहा कि आयोग ने सहारनपुर के देवबंद में दिये गये बयान पर उनकी सफाई को नजरअंदाज करते हुए उन पर पाबंदी लगा दी और यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा ''संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत किसी को अपनी बात रखने से वंचित नहीं किया जा सकता लेकिन आयोग ने अभूतपूर्व आदेश देकर मुझे बगैर किसी सुनवाई के असंवैधानिक तरीके से क्रूरतापूर्वक वंचित कर दिया। यह दिन काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा। यह फैसला किसी दबाव में लिया गया ही प्रतीत होता है।''

चुनाव आयोग ने लगाया 48 घंटे का प्रतिबंध

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मालूम हो कि आयोग ने गत सात अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में आयोजित चुनावी रैली में खासकर मुस्लिम समुदाय से वोट मांगकर आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में सोमवार को किसी भी चुनावी गतिविधि में शामिल होने पर 48 घंटे के लिये प्रतिबंध लगा दिया।

मुझे कार्यकर्ताओं पर है भरोसा

बसपा प्रमुख ने कहा कि हमें अपने कार्यकर्ताओं पर भरोसा है कि वह आयोग के इस फैसले के पीछे की मंशा को जरूर समझें और निडर होकर बसपा तथा गठबंधन प्रत्याशियों को पूरा समर्थन देकर भाजपा तथा अन्य विरोधियों की जमानत जब्त कराएं। मायावती ने कहा कि आयोग को अच्छी तरह मालूम है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण कर मतदान 18 अप्रैल को है और प्रचार का समय कल 16 अप्रैल को खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग के इस आदेश के कारण वह मंगलवार को आगरा में होने वाली महागठबंधन की संयुक्त रैली में बसपा और गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में अपील नहीं कर सकेंगी। अगर आयोग की मंशा गलत नहीं थी, तो वह उसे एक दिन बाद उसे लागू करता।

मैंने धार्मिक भावनाओं को नहीं भड़काया

उन्होंने कहा कि आयोग ने 11 अप्रैल को उन्हें जो नोटिस भेजा था उसमें भड़काऊ भाषण देने का आरोप नहीं लगाया गया था। नोटिस के जवाब में साफ कहा गया था कि उन्होंने धार्मिक भावनाओं को नहीं भड़काया था बल्कि देवबंद की रैली में दो अलग अलग लोगों से वोट बांटने की नहीं, बल्कि दो मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक ही मुस्लिम उम्मीदवार को वोट देने की बात कही गयी थी, ताकि प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी को हराया जा सके। मायावती ने कहा कि आयोग ने उन्हें अपने भाषण की कोई सीडी उपलब्ध नहीं करायी। साथ ही अनुरोध किया था कि पूरे भाषण को सुना जाए, जिससे यह साफ हो जाएगा कि मैंने किसी एक समाज से वोट नहीं मांगा है और इन सबकी अनदेखी करके आयोग ने मुझ पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया गया।

योगी पर प्रतिबंध से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ता

बसपा प्रमुख ने कहा कि जहां तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगाने के आयोग के आदेश की बात है तो उससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आयोग ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नफरत फैलाने और देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की खुली छूट दे रखी है।

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TAGS: election commission, ban, under pressure, Mayawati
OUTLOOK 16 April, 2019
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