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11 March 2024

किसान आंदोलन: सियासी संभावनाओं पर ग्रहण

अप्रैल में संभावित लोकसभा चुनाव के चलते पंजाब में एक पखवाड़े पहले तक तेजी से बदल रहे सियासी समीकरण पर किसान आंदोलन का घना साया पड़ गया है। सितंबर 2020 में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में पहले किसान आंदोलन के दौरान शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से चार दशक पुराना नाता तोड़ लिया था। अब फिर गठबंधन साधने की भाजपा की कोशिश दूसरे किसान आंदोलन की वजह से सिरे चढ़ती नहीं दिख रही। नए सिरे से गठबंधन पर चर्चा के लिए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल की भाजपा के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में दो दौर की बैठक भी हुई। पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी गठबंधन के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। भाजपा से फिर हाथ मिलाने के लिए अकाली दल ने बसपा से भी अपना गठबंधन तोड़ लिया था।

लेकिन किसान आंदोलन-2 ने इस संभावित गठबंधन को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। अकाली दल के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हाल में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में नेताओं ने किसानों की मांगें पूरी होने तक भाजपा के साथ निकटता न बढ़ाने का फैसला किया है। दरअसल अकाली दल लोकसभा चुनाव में किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता। वह 2022 के विधानसभा चुनावों में लगे चुनावी घाव आज भी सहला रहा है।

भाजपा के हालात तो ये हैं कि आंदोलनकारी किसानों ने पार्टी नेताओं के घरों की घेराबंदी कर रखी है और उन्हें उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के अबोहर जिले के गांव कोसी में उनके घर का चार दिनों तक घेराव किया गया। पटियाला में पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मोती महल निवास पर भी किसानों का घेराव जमा रहा। ऐसे में आशंका यह है कि आंदोलन लंबा खिंचा तो भाजपा नेता लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अपने घरों से भी बाहर नहीं निकल पाएंगे। शायद यही वजह है कि भाजपा खेमे से मोलतोल कर रहे पंजाब के कई कांग्रेसियों के कदम भी थम गए हैं। 

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पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव पर भी किसान आंदोलन का साया था। किसान आंदोलन के समर्थन के बावजूद तब सत्तारूढ़ कांग्रेस 2017 के 38.64 प्रतिशत वोट के मुकाबले 23.1 प्रतिशत वोट ही पा सकी। सबसे बड़ी मार अकाली दल पर पड़ी थी। उसे 2017 के  30.6 प्रतिशत मतों के मुकाबले 2022 में 18.38 प्रतिशत ही मत मिले। इसके विपरीत किसानों से एमएसपी पर खरीद और घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी के वादे से आम आदमी पार्टी 42 प्रतिशत वोट झटक ले गई और अप्रत्याशित बहुमत के साथ पहली बार सत्ता में पहुंच गई।

भाजपा 2022 के विधानसभा चुनावों में किसानों के गुस्से का सबसे ज्‍यादा शिकार बनी थी। उसके नेताओं को गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब लोक कांग्रेस के साथ साझेदारी के बावजूद भाजपा प्रदेश की 113 विधानसभा सीटों में सिर्फ दो सीटें जीती। कैप्टन अपनी सीट तक नहीं बचा सके।

अब हालात अगर नहीं बदले तो पड़ोसी राज्‍य हरियाणा में भी भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी वजह से पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार खुलकर आंदोनकारी किसान संगठनों के साथ खड़ी है। दिल्ली कूच के लिए किसानों को पंजाब में कहीं नहीं रोका गया। शंभू बॉर्डर के मोर्चे पर डटे किसानों को हर संभव सहायता के लिए कैबिनेट मंत्री और विधायक तैनात किए गए हैं।

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TAGS: farmers movement, eclipses, political prospects, shiromani akali dal, BJP, Punjab
OUTLOOK 11 March, 2024
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