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02 June 2018

सड़कों पर उतरे विवश किसान, नहीं मिलते उन्हें फसलों के उचित दामः कांग्रेस

File Photo

 

पंजाब, मध्यप्रदेश समेत देश के सात राज्यों में किसान हड़ताल पर हैं। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ दस दिवसीय आंदोलन की घोषणा की है। विरोध में मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसानों ने शहर से बाहर फल और सब्जियों को भेजे जाने पर रोक लगा दी है तो दूध सड़कों पर बहाया जा रहा है। किसानों की मांगे पूरी नहीं करने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है।

कांग्रेस ने कहा, 'मोदी सरकार के चार साल किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या का काल रहा है। सरकार ने किसानों की न तो कर्ज माफी की मांग पूरी की और न ही फसलों की लागत का 50 फीसदी से ज्यादा समर्थन मूल्य का वादा पूरा किया। भाजपा ने पिछले साल मंदसौर में छह किसानों को मौत के घाट उतार दिया।'

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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'किसान लगातार चाल सालों से मोदी सरकार से एमएसपी को लेकर गुहार लगा रहा है लेकिन सरकार ने इस वादे तक को पूरा नहीं किया। सरकार ने यह वादा घोषणा पत्र में भी किया था जिसे सरकार को निभाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि किसानों के शांतिपूर्वक विरोध के समर्थन में समूचा देश साथ खड़ा है । यह कितना हृदय विदारक है कि किसान जब अपने फसलों की उचित मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज़ करता है तो भाजपा सरकार उन्हें पास बुलाकर उनके सीने में गोलियां उतार देती है। मंदसौर की घटना इसी का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि देशभर के किसानों के प्रति अपना समर्थन देने और किसानों को श्रद्धासुमन अर्पित करने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छह जून को मंदसौर जाएंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि देश भर के 130 से ज्यादा किसान संगठन मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते एक से दस जून तक गाँव बंदी आंदोलन को आकार दे रहे हैं । यह पहला मौका नहीं है कि जब किसानों ने भाजपा सरकार के प्रति अपना रोष जताया हो। बीते चार सालों से यही हालत हैं। किसान खेती किसानी करने के बजाय सड़कों परो आंदोलन कर रहा है लेकिन भाजपा सरकार के घमंड का आलम यह है कि वो किसानों की मांगों का संज्ञान लेने की बजाय कभी उनके सीने में गोलियाँ उतार देती है तो कभी जेलों में ठूस देती है। इससे बड़ी वेदना क्या होगी कि किसान को एक ओर अपनी फ़सलों के दाम नहीं मिल रहे, और दूसरी ओर वो विरोध प्रदर्शन के लिए यह कठोर निर्णय ले कि वह दस दिन तक अपनी उपज को बाज़ार में नहीं बेच कर अपना विरोध दर्ज़ करा रहा है और मोदी सरकार किसानों की बात सुनने के बजाय झूठे मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे धकेल रही है ।

सुरजेवाला ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह भी है कि मोदी सरकार ने अपने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में यहा माना है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2009 से 2014 में स्वामीनाथन कमीशन की 201 सिफारिशों में से 175 सिफारिशें लागू कर दी गई हैं, जहाँ तक मोदी सरकार का फसलों की लागत से 50 फीसदी से ज्यादा समर्थन मूल्य देने दावा है तो यह सच्चाई से उलट है। किसानों की 'कर्ज माफी'  पर सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है और किसान मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते कर्ज के बोझ में दबा हुआ है। नतीजजन 35 से ज्यादा किसान रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। मोदी सरकार ने चार सालों में कुछ धन्ना सेठों का क रीब 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया लेकिन किसानों का कर्ज माफ नहीं किया। जबिक यूपीए सरकार ने किसानों का 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था।

 

 

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TAGS: farmers, fair prise, congress, gorvernment
OUTLOOK 02 June, 2018
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