कुछ बड़ा करने वाली हैं वसुंधरा? अमित शाह से लेकर दूसरे भाजपा नेताओं से कर रही अलग-अलग बैठकें
राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी की चर्चाओं के बीच उनकी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगभग एक घंटे की मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद तरह-तरह की राजनीतिक चर्चाएं भी शुरू हो गईं। पिछले एक सप्ताह में वसुंधरा राजे बीजेपी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं, जिसकी वजह से केंद्र और राजस्थान के बीजेपी नेताओं में हलचल है।
हिंदुस्तान की खबर के अनुसार बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजे ने बीते एक हफ्ते में पार्टी चीफ जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान और राजस्थान इनचार्ज अरुण सिंह से मुलाकात की है।
इस पूरे मामले से वाकिफ बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया कि आम तौर पर शाह की किसी के साथ बैठक 10-15 मिनट तक चलती है, क्योंकि उनका शेड्यूल काफी बिजी रहता है, मगर राजे के साथ यह बैठक तकरीबन घंटेभर तक चली।उन्होंने कहा कि पहले राजे और शाह के बीच असहमतियों पर चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन अब दोनों के बीच सबकुछ सहज हो गया है।
पार्टी से वसुंधरा की दूरी- विशेष रूप से राजस्थान में राजनीतिक गतिविधियों में- दिखाई देती रही है। ऐसे में इस पर भी शाह के साथ बातचीत हुई होगी। बता दें कि यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब वसुंधरा समर्थकों ने एक नया संगठन बना लिया है। जिसके बाद बीजेपी में फूंट के संकेत मिलने लगे। राजे के समर्थकों ने इस सियासी संगठन का नाम “वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान मंच” दिया है। इसको लेकर कवायद भी शुरू कर दी गई । 25 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई और ये भाजपा में पहली बार हो रहा है, जब किसी संगठन के नेता के समर्थकों द्वारा अलग सियासी ‘पिच’ तैयार की जा रही हो। इसके बाद से अब सियासी गलियारो में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि क्या वसुंधरा ने बगावत के सुर अख्तियार कर लिये हैं? और अगले विधानसभा चुनाव से पहले वो अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं। क्योंकि, कुछ दिनों पहले हीं राजे के विरोधी नेता घनश्याम तिवारी की बीजेपी में वापसी हुई है।
राजे समर्थकों द्वारा अलग संगठन बनाए जाने की जानकारी पहले से भाजपा आलाकमानों को थी। राज्य के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बयान जारी कर कहा, ''इस बात की जानकारी भाजपा के सभी नेताओं को है। जो लोग इस संगठन में काम कर रहे हैं वो भाजपा के सक्रिय सदस्य नहीं हैं। भाजपा व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं हैं, यह संगठन आधारित पार्टी है। पार्टी का चेहरा सिर्फ पीएम मोदी हैं।''
संभवत: वसुंधरा और उनके समर्थकों को डर है कि आगामी चुनाव में उन्हें सीएम का चेहरा न घोषित किया जाए। इसी बाबत अलग मंच तैयार कर वसुंधरा की छवि को लोगों के बीच पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी। अब अमित शाह से बातचीत के बाद वसुंधरा का रुख क्या होगा यह जल्द पता चल जाएगा।