जब सरकार ही भगोड़ों का करें संरक्षण तो देश की रक्षा कौन करेगाः कांग्रेस
कांग्रेस ने मेहुल चोकसी को भगाने में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बैंकों के करोड़ों रुपये डकारने के बाद देश से फरार हुए कारोबारी मेहुल चोकसी को भगाने में प्रधानमंत्री कार्यालय का हाथ है और शिकायतें मिलने के बावजूद इसी वजह से उसे सुरक्षित जाने दिया गया। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, जब सरकार भगोड़ों का संरक्षण करे तो फिर देश और देश के खजाने की रक्षा कौन करेगा?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरेजावाला ने कहा कि मेहुल चोकसी के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय, ईडी, एसएफआईओ की संलिप्तता जाहिर है। तीन साल तक मोदी सरकार नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर कोई कार्रवाई नहीं करती। इसके लिये सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि एक मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय कहता है कि हां अब कार्रवाई करो क्योंकि 1 और 4 जनवरी को नीरव मोदी और मेहुल चोकसी भाग चुके थे।
गृहमंत्रालय ने दी क्लीरेंस
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एंटीगुआ के राष्ट्रपति से 20 अप्रैल को मिलते हैं तब तक मेहुल चोकसी रफूचक्कर हो कर एंटीगुआ पहुंच चुके हैं लेकिन तब पीएम मोदी एक शब्द एंटीगुआ सरकार को नहीं बोलते हैं। देश सवाल पूछना चाहता है कि जब मेहुल चोकसी 2015 से धोखाधड़ी कर रहे थे तो विदेश मंत्रालय, सीबीआई, ईडी और पुलिस 2017 में मेहुल चोकसी को क्लीन चिट क्यों दे रहे थे? एंटीगुआ सरकार ने कहा है कि क्योंकि गृहमंत्रालय ने चोकसी के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में क्लीरेंस दी तभी उसे यहां की नागरिकता दी गई।
पीएमओ को पहले से थी जानकारी
सुरजेवाला ने कहा कि 26 जुलाई, 2014 को एक और व्यक्ति हरि प्रसाद सीधे मोदी जी से शिकायत करते हैं कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी बहुत बड़े फ्राड हैं और देश छोड़कर भाग जाने वाले हैं। 26 मई 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय इस शिकायत की स्वीकृति देता है। इससे साबित हो गया है कि 7 मई 2015 को नीरव मोदी की धोखाधड़ी की जानकारी पीएमओ और अन्य एजेंसियों को मिल गयी थी। 7 मई 2015 को पहली बार वैभव खुरानिया ने पीएमओ को पूरे मामले की जानकारी तथ्यों के साथ दी, इसकी जानकारी एसएफआईओ को भी दी गयी। संसद के पटल पर दिये गये जवाब और साक्ष्यों से साफ हो जायेगा कि 7 मई 2015 से 1 मार्च 2018 तक पीएमओ ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ धोखाधड़ी की जानकारी होते हुए भी कार्रवाई नहीं की, ताकि वे देश छोड़कर भाग जाएं।