न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए गेम खेल रही है सरकार: कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट में जज के पद के लिए जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार पर फिर हमला बोला। सरकार ने जस्टिस जोसफ के नाम के लिए कोलेजियम की सिफारिश ने मानकर एक संदेश दिया है कि अगर आप हमसे सहमत नहीं होंगे तो इसका क्या नतीजा होगा। यह संविधान की अस्मिता और आत्मा के खिलाफ है और न्यापालिका की अवमानना है। साथ ही कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार 'न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए गेम खेल रही है तथा जोसफ के नाम की फिर से सिफारिश करके तत्काल सरकार को वापस भेज देना चाहिए।
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोलेजियम को जस्टिस जोसेफ के नाम की फिर से अनुशंसा करनी चाहिए। सरकार को साफ करना चाहिए कि वह इस मामले में नहीं झुकेगी। उन्होंने कहा, 'पहली बार देश में न्यायपालिका पर इस तरह का हमला किया गया है। अदालत के फैसले के आधार पर हमले हो रहे हैं। सरकार कह रही है कि अगर कोई फैसला सरकार के मन मुताबिक नहीं है तो संबंधित न्यायाधीश को पदोन्नति नहीं मिलेगी।'
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त नहीं करना निंदनीय है। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले में संविधान के मुताबिक फैसला देने की वजह से सरकार ने उनकी नियुक्ति से जुड़ी कोलेजियम की अनुशंसा को स्वीकार नहीं किया। सरकार उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले में आए फैसले को पचा नहीं पाई है।गौरतलब है कि मार्च, 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था। कुछ दिनों बाद ही जस्टिस जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार हर संस्था में उन्ही लोगों की नियुक्ति कर रही है जो 'तुस्सी ग्रेट हो' बोलते हैं। जस्टिस जोसेफ के नाम को स्वीकृति नहीं देने के लिए कानून मंत्री ने जो कारण दिए हैं, वो गलत हैं। देश के कई पूर्व चीफ जस्टिस ने भी सरकार के इस फैसले की भर्त्सना की है।
बता दें कि जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने के कालेजियम की सिफारिशों को केंद्र सरकार ने कल यह कहते हुए वापस कर दिया था कि कालेजियम को इस प्रस्ताव पर दोबारा विचार करना चाहिए। जोसेफ के साथ कालेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा का नाम भेजा था। मल्होत्रा का नाम स्वीकार कर लिया गया और चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने शुक्रवार को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।